बेशक देश की राजधानी में बीते दिनों तीन बच्चियां भूख से मर गई, लेकिन एक सच यह भी है कि यहां मुर्दे तक राशन खा रहे हैं। गुमशुदा तथा दूसरे प्रदेशों में शिफ्ट हो चुके लोग और दिल्ली से बाहर शादी कर चुकी लड़कियां भी हर महीने राशन खाने दिल्ली आ रही हैं। बात जितनी चौंकाने वाली है, उतनी ही परेशान करने वाली भी।
शिकायत के मुताबिक बीते आठ वर्षों में हजारों लोग ईडब्ल्यूएस और बीपीएल की श्रेणी से भी बाहर हो गए हैं, लेकिन उनके राशन कार्ड भी निरस्त नहीं किए गए हैं। काफी लोग ऐसे हैं जो बहादुरगढ़ में रहते हुए राशन दिल्ली से ले रहे हैं। शिकायतकर्ता सुखबीर सिंह दलाल के मुताबिक दिल्ली में इस समय तकरीबन 19 लाख राशन कार्ड हैं। प्रति कार्ड चार से 10 सदस्यों के हिसाब से लगभग 72 लाख लोग लाभान्वित हो रहे हैं। हालांकि इनका कोई सर्वे नहीं हुआ है।
इस शिकायत में विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया गया है कि 2011 से 2018 के बीच जितनी भी श्रेणियों के राशन कार्ड बने हैं, उनका विस्तृत सर्वे कराया जाए। इस जांच में कम से कम चार से पांच लाख ऐसे नाम कट जाएंगे, जिनका ऊपर जिक्र किया गया है। इससे जहां एक ओर राशन का दुरुपयोग बंद होगा वहीं उन जरूरतमंद लोगों का नाम भी जोड़ा जा सकेगा, जो फिलहाल नए राशन कार्ड बनाए जाने पर प्रतिबंध होने के कारण नहीं जोड़े जा रहे हैं। विधानसभाध्यक्ष की ओर से यह शिकायत खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को अग्रसारित कर दी गई है।
विधायक सुखबीर सिंह दलाल का कहना है कि राशन कार्ड जीवन भर के लिए नहीं, बल्कि केवल पांच साल के लिए बनने चाहिए। हर पांच साल बाद उनका नवीनीकरण हो। एक कार्ड ऐसा भी बनाया जाए, जिसे राशन लेने के बजाय परिवार के सदस्यों का ब्योरा दिखाने के लिए उपयोग में लाया जाय। राशन कार्ड की बायोमीट्रिक प्रणाली में कार्ड होल्डर के पते की भी जांच होनी चाहिए।