दिल्ली विधासभा के अंतर्गत पटपड़गंज विधानसभा सीट दिल्ली की सबसे महत्वपूर्ण सीटों में से एक है। इस सीट से उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया लगातार दो बार से जीत रहे हैं और इस बार भी यहां से उनके चुनावी मैदान में उतरने की पूरी संभावना है। इस सीट पर भाजपा को मात्र एक बार ही जीत का स्वाद मिला, इसके बाद यहां से लगातार कांग्रेस जीतती रही। हालांकि, परिसीमन से पहले इस विधानसभा सीट का कुछ इलाका मंडावली विधानसभा क्षेत्र में आता था, तब भाजपा ने यहां से जीत हासिल की थी।
2008 में हुए परिसीमन से पहले यह सीट सुरक्षित हुआ करती थी। सबसे पहले 1993 में यहां चुनाव हुआ, तब भाजपा के ज्ञानचंद ने कांग्रेस उम्मीदवार अमरीश सिंह गौतम को हराया था। इसके बाद अमरीश गौतम ने यहां से दो बार लगातार जीत दर्ज की। वर्ष 2008 में जब परिसीमन हुआ था, तब इसका स्वरूप सामान्य हो गया। सामान्य सीट होने के बाद भी कांग्रेस यहां से जीती और अनिल कुमार ने भाजपा के नकुल भारद्वाज को हराया।
कांग्रेस इस सीट से लगातार जीत दर्ज कर रही थी। इसके बाद 2013 में आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया ने इस सीट से भाजपा के नकुल भारद्वाज को शिकस्त दी। 2015 में भाजपा ने मनीष सिसोदिया को हराने के लिए आप के बागी विधायक रहे विनोद कुमार बिन्नी को मैदान में उतारा।
इससे मुकाबला रोचक हुआ और यहां तक कहा जाने लगा कि मुकाबला बहुत नजदीक का रहेगा, क्योंकि बिन्नी ने AAP से बगावत की थी और आप की कई अंदरूनी बातों को उजागर किया था। हालांकि जब चुनाव परिणाम आए तो यहां सिसोदिया की जीत में वोटों का अंतर कुछ बढ़ ही गया।
लाख कोशिश के बाद भी भाजपा 1993 के परिणाम को दोहरा नहीं पाई है। भाजपा ने इस सीट से जीत हासिल करने के लिए कई बार प्रत्याशी बदले, लेकिन लाभ नहीं मिला। 1998 में भाजपा ने तत्कालीन विधायक ज्ञानचंद का टिकट काट दिया था, जिसका पार्टी को नुकसान हुआ। हालांकि फिर अगले चुनाव 2003 में पार्टी ने ज्ञानचंद को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन इस बार भी शिकस्त मिली।
इससे पहले 2008 में सीट सामान्य होने के बाद भाजपा ने युवा उम्मीदवार नकुल भारद्वाज को मैदान में उतारा, दूसरी ओर कांग्रेस ने भी युवा उम्मीदवार अनिल कुमार को उतारा था। इस रोमांचक मुकाबले में भारद्वाज महज 648 वोटों से हार गए। इसके बाद भाजपा की हार का अंतर बढ़ता ही गया। इस बार भाजपा इस सीट से हर हाल में जीत दर्ज करना चाहती है। इसलिए ऐसे प्रत्याशी की तलाश कर रही है, जो उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को हरा सके।
पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र दो दशक से ज्यादा समय तक कांग्रेस का गढ़ रही है। लेकिन 2013 में मिली हार के बाद लगातार यहां आप का दबदबा बढ़ा है। इस बार भी यहां से उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के रूप में भाजपा-कांग्रेस को बड़ी चुनौती मिल सकती है।