दिल्ली: बेटी से झूठा पॉक्सो मुकदमा लिखाने पर पिता के खिलाफ एफआईआर के निर्देश

उस व्यक्ति ने अपनी नाबालिग बेटी पर दबाव डाल कर अपनी पत्नी और ससुराल वालों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट का झूठा मामला दर्ज कराया था।

साकेत कोर्ट ने पुलिस को एक व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है, जिसने अपनी नाबालिग बेटी पर दबाव डाल कर अपनी पत्नी और ससुराल वालों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट का झूठा मामला दर्ज कराया था।

मामला दक्षिण-पूर्व जिला के जैतपुर थाने का है। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) अनु अग्रवाल ने कहा कि समय आ गया है कि शिकायतकर्ता के पिता जैसे वादियों से सख्ती से निपटा जाए, जो कानून के प्रावधानों का निजी फायदे के लिए दुरुपयोग करते हैं।

ऐसे वादियों के कारण ही आम जनता वास्तविक मामलों को भी संदेह की नजर से देखती है। न्यायाधीश ने कहा कि जांच अधिकारी ने एक क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें ऑडियो और वीडियो फाइलों वाली कई कॉल रिकॉर्डिंग शामिल थीं, जो दिखाती हैं कि लड़की ने अपने पिता के कहने पर झूठा मामला दर्ज करवाया था। इसलिए, कोर्ट ने जैतपुर थाना के एसएचओ को आरोपी पिता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और 9 अप्रैल को अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

दुष्कर्म मामले में दिया झूठा बयान, महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के निर्देश
तीस हजारी कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में झूठा बयान देने का अपराध करने के आरोप में एक महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का निर्देश दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) अनुज अग्रवाल ने आरोपी को बरी करते हुए कहा कि रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता ने कोर्ट में झूठा बयान दिया और दुष्कर्म व धमकी के आरोप की झूठी कहानी गढ़ी। इसलिए अदालत ने अभियोजन पक्ष के झूठे बयान को देखते हुए आरोपी को बरी कर दिया।

फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि प्रतिष्ठा बनाने में पूरा जीवन लग जाता है, लेकिन इसे नष्ट करने के लिए कुछ झूठ ही काफी होते हैं। इसलिए, केवल बरी होने से आरोपी की पीड़ा की भरपाई नहीं हो सकती, जिसे यौन उत्पीड़न की झूठी कहानी के आधार पर ऐसे जघन्य अपराधों के लिए मुकदमे के आघात से गुजरना पड़ा।

उन्होंने कहा कि हालांकि यह कहना गलत होगा कि यदि अभियोक्ता की गवाही विश्वसनीय और भरोसेमंद पाई जाती है तो उसे किसी स्वतंत्र पुष्टि की आवश्यकता नहीं होती। अदालत ने स्वीकार किया कि झूठे दुष्कर्म के मामले ने आरोपी को पीड़ित बना दिया। साथ ही, अदालत ने महिला के खिलाफ झूठी गवाही देने के अपराध के लिए दंडनीय शिकायत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (केंद्रीय) की अदालत में भेजने का आदेश दिया। मामला 2019 का है, जिसमें उज्जैन निवासी महिला ने आरोप लगाया था कि उसे आरोपियों ने घूमने के लिए दिल्ली बुलाया था और नबी करीम इलाके के एक होटल में उसके साथ दुष्कर्म किया था।

पॉक्सो मामले में तीन आरोपी को अग्रिम जमानत
तीस हजारी कोर्ट ने पॉक्सो अधिनियम मामले में तीन आरोपियों को अग्रिम जमानत दी है। अदालत ने कहा कि आरोपियों के जांच में शामिल होने के बावजूद पुलिस की तरफ से उनकी गिरफ्तारी को लेकर अभी भी आशंका है। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) सचिन जैन ने तीनों आरोपियों को 20-20 हजार रुपये के निजी मुचलके और गिरफ्तारी की स्थिति में इतनी ही राशि की जमानत पर अग्रिम जमानत दी।

मामले में जांच अधिकारी (आईओ) ने तर्क दिया कि केवल एक आरोपी के खिलाफ ही पॉक्सो के तहत 10 अपराध बनते है। वो जांच में शामिल हुआ हैं और सहयोग कर रहा है, इसलिए उसकी गिरफ्तारी पर कोई आशंका नहीं है। दूसरी ओर, अधिवक्ता तरुण नारंग और आनंद कुमार द्विवेदी ने दलील दी कि हालांकि आरोपी जांच में शामिल हो गए हैं, लेकिन उन्हें अभी भी अपनी गिरफ्तारी की आशंका है।

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