उत्तर प्रदेश के पहले और देश के सबसे बड़े प्लाज्मा सेंटर में काम शुरू हो गया है. लखनऊ के केजीएमयू में इस सेंटर की शुरुआत की गई है. लखनऊ में कोरोना मरीजों के लिए बना यह सेंटर देश का पांचवा प्लाज्मा सेंटर है. इसके अलावा दिल्ली और चंडीगढ़ में दो-दो सेंटर पहले से काम कर रहे हैं. यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इसका उद्घाटन किया है.
कोरोना से ठीक हो चुके मरीज डिस्चार्ज होने के 14 दिन बाद प्लाज्मा दे सकते हैं. ऐसे मरीजों की उम्र 18 वर्ष से 65 वर्ष के बीच होनी चाहिए. 14 दिन बाद दोबारा प्लाज्मा दान किया जा सकता है. एक बार में 500 एमएल प्लाज्मा निकाला जाता है.
कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में आईजीजी एंटीबॉडी बन जाती है. ऐसे में प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडी को गंभीर मरीजों में चढ़ाया जाता है. यह एंटीबॉडी कोरोना वायरस के खिलाफ काम करती है. गंभीर मरीजों की जिंदगी बचाने में मददगार बनती है. कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी के परिणाम अच्छे मिल रहे हैं.
बता दें, एक डोनर 500 एमएल तक प्लाज्मा डोनेट कर सकेगा, जिसे 200-200 एमएल की यूनिट्स में स्टोर किया जाएगा. बाद में कोरोना के गंभीर मरीजों को यह प्लाज्मा चढ़ाया जाएगा.
प्लाज्मा बैंक के बारे में केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. विपिन पुरी ने कहा प्लाज्मा थेरेपी डेफिनेटली ट्रीटमेंट तो नहीं है लेकिन एक राहत का तरीका जरूर है. उन्होंने कहा कि इससे मरीजों के स्वास्थ्य की रिकवरी की जा सकती है. इस प्लाज्मा थेरेपी के जरिए उत्तर प्रदेश की जनता तक कोरोना के इलाज को पहुंचाया जा सकता है.