दिल्ली: एम्स में अब एक ही छत के नीचे मिलेगी जिंदगी को नई रोशनी

खराब हो चुके अंग से परेशान गंभीर मरीजों को एक ही छतरी के नीचे जल्द जिंदगी की नई रोशनी मिलेगी। इसके लिए एम्स एक आधुनिक सुविधा विकसित कर रहा है। इस सुविधा के तहत अंग प्रत्यारोपण से जुड़ीं सभी सुविधाएं एक जगह पर मिलेंगी। अभी इन सुविधाओं के लिए मरीजों को अलग-अलग विभागों के चक्कर लगाने पड़ते हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार सुविधाओं को एक जगह पर लाने से अंग प्रत्यारोपण में तेजी आएगी। साथ ही प्रत्यारोपण की गुणवत्ता में सुधार आएगा। इसके अलावा स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षण भी होगा। इसकी मदद से देश में अंग प्रत्यारोपण करने वाले विशेषज्ञों की संख्या बढ़ेगी।

एम्स के प्रत्यारोपण विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पताल को अंग प्रत्यारोपण सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके लिए एक कमेटी बना दी गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तरफ से आए प्रस्ताव के तहत सिंगल अंब्रेला अप्रोच के तहत सभी तरह के प्रत्यारोपण सुविधा को एक छत के नीचे लाया जाएगा। इसके बनने के बाद मरीज को अलग-अलग विभाग में जाने की जगह इस सेंटर में आना होगा। यही पर मरीजों का पूरा मूल्यांकन होगा। उसके बाद उक्त अंग का प्रत्यारोपण भी इसी सेंटर में होगा। यहां पर प्रत्यारोपण से जुड़े सभी विशेषज्ञ होंगे।

मौजूदा व्यवस्था में मरीज को अलग-अलग विभाग में जाना पड़ता है। उक्त विभाग में अंग प्रत्यारोपण विशेषज्ञ के साथ सर्जन भी होते हैं। इन्हें प्रत्यारोपण के साथ सामान्य सर्जरी भी करनी पड़ती है। ऐसे में मरीज को कई बार लंबा इंतजार भी करना पड़ जाता है। सेंटर बनने के बाद विशेषज्ञ समर्पित अंग प्रत्यारोपण ही करेंगे।

देश में अंग प्रत्यारोपण के मामले कम
विशेषज्ञों का कहना है कि देश में अंग प्रत्यारोपण विशेषज्ञों की संख्या कम होने के कारण मांग के मुकाबले 10 फीसदी ही अंग प्रत्यारोपण हो पाता है। इनमें से अधिकतर सुविधा शहरी क्षेत्र के बड़े अस्पतालों में हैं। ऐसे में सेंटर विकसित करने के साथ अंग प्रत्यारोपण कर रहे विशेषज्ञों को आधुनिक प्रशिक्षण देकर इनकी संख्या बढ़ाने का भी उद्देश्य है। इसकी मदद से देश में अंग प्रत्यारोपण विशेषज्ञों की संख्या बढ़ाई जाएगी। देशभर में करीब 620 जगहों पर अंग प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध है। इसमें सरकारी सुविधा केवल 180 जगह उपलब्ध है। विशेषज्ञों का कहना है कि विशेषज्ञ और अंग के अभाव में मांग के मुकाबले केवल 10 फीसदी ही प्रत्यारोपण हो पाते हैं। बीते साल देश में तीन लाख किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत थी, लेकिन 18500 ही हो पाए। इसी तरह दिल, लिवर व दूसरे अंगों की स्थिति और खराब है।

एम्स में हर साल हो रहे 180 प्रत्यारोपण
विशेषज्ञों का कहना है कि एम्स में अभी दिल, लिवर, किडनी और पैंक्रियाज का प्रत्यारोपण हो रहा है। इसमें दिल, लिवर और पैंक्रियाज का प्रत्यारोपण शव से मिले अंग से होता है। जबकि किडनी का प्रत्यारोपण शव व जिंदा व्यक्ति से मिले अंग से होता है। एम्स में लिवर का प्रत्यारोपण जल्द जिंदा व्यक्ति से मिले अंग से भी करने की तैयारी की जा रही है। भविष्य में इस दिशा में प्रत्यारोपण शुरू होने की उम्मीद है। एम्स प्रशासन की माने तो यहां हर साल करीब 180 अंग प्रत्यारोपण हो रहे हैं।

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