इनमें से काफी मरीज गंभीर होते हैं जिन्हें तुरंत टीका लगाने की जरूरत होती है। सबसे अधिक लोग सफदरजंग अस्पताल में रेबीज का टीका लगवाने आते हैं। डॉक्टरों के अनुसार कुत्ता काटने के मामलों में 60 फीसदी मरीज बच्चे होते हैं।
दिल्ली-एनसीआर में रोजाना एक हजार से अधिक लोगों को कुत्ते काट रहे हैं। इनमें से काफी मरीज गंभीर होते हैं। जिन्हें तुरंत टीका लगाने की जरूरत होती है। विशेषज्ञों की माने तो सफदरजंग, डॉ. राम मनोहर लोहिया, हिंदूराव, जीटीबी, डीडीयू, लोकनायक सहित दिल्ली के अन्य सरकारी व निजी अस्पतालों में रोजाना एक हजार से अधिक लोग रेबीज का टीका लगवाने आते हैं। इनमें करीब आधे पुराने मरीज होते हैं। सबसे अधिक लोग सफदरजंग अस्पताल में रेबीज का टीका लगवाने आते हैं। डॉक्टरों के अनुसार कुत्ता काटने के मामलों में 60 फीसदी मरीज बच्चे होते हैं।
सफदरजंग अस्पताल के एंटी रेबीज क्लीनिक के प्रमुख डॉ. योगेश गौतम ने बताया कि अस्पताल में रोजाना करीब 500 रेबीज के टीके लगाए जाते हैं। इनमें से करीब 200 नए मरीज होते हैं, वहीं 300 पुराने मरीज होते हैं। इन मरीजों के लिए अस्पताल में पर्याप्त टीका है। वहीं लोक नायक अस्पताल के आपातकालीन विभाग की प्रमुख डॉ. रितु सक्सेना ने कहा कि अस्पताल में रोजाना करीब 100 लोग टीका लगवाने आ रहे हैं। छुट्टी के दिन इनकी संख्या करीब 50 रहती है।
इन जानवरों के काटने पर लगता है रेबीज का टीका
अगर किसी व्यक्ति को कुत्ता, बिल्ली, गीदड़, भेड़िया, लोमड़ी, रैकून, चमगादड़ या अन्य जानवर काट ले तो उसे रेबीज का टीका लगवाने की जरूरत होती है।
टीके की चार डोज जरूरी
कुत्ते के काटने के बाद टीके की चार डोज जरूरी हैं। पहली डोज तुरंत, दूसरे तीन दिन पर, तीसरी सात दिन पर और चौथी डोज 28 दिन पर दी जाती है। साथ ही मरीज को पहली डोज के साथ एंटी रेबीज सीरम (एआरएस) भी दिया जाता है। दिल्ली के सरकारी अस्पताल में चारों डोज दोनों कंधे पर दी जाती है।
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