दशकों बाद मकर संक्रांति पर भौम पुष्य और शिववास योग समेत बन रहे हैं ये मंगलकारी संयोग

ज्योतिषियों की मानें तो आत्मा के कारक सूर्य देव 14 जनवरी (Makar Sankranti 2025) को सुबह 09 बजकर 03 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में गोचर करेंगे। इस राशि में सूर्य देव 11 फरवरी तक रहेंगे। इसके अगले दिन सूर्य देव मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में गोचर करेंगे। मकर संक्रांति तिथि पर सूर्य देव की पूजा-उपासना की जाती है।

सनातन धर्म में मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व है। यह पर्व सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में गोचर करेंगे। सनातन शास्त्रों में निहित है कि मकर संक्रांति (Makar Sankranti benefits) तिथि पर सूर्य देव अपने पुत्र शनिदेव से मिलने उनके घर गये थे। साथ ही पुण्यदायिनी मां गंगा का भूलोक यानी धरातल पर आगमन हुआ था। इस शुभ अवसर पर मां गंगा और भगवान भास्कर की पूजा की जाती है।

ज्योतिषियों की मानें तो दशकों बाद मकर संक्रांति पर दुर्लभ भौम पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में सूर्य उपासना करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान मिलेगा। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। आइए, शुभ मुहूर्त, स्नान-दान एवं योग जानते हैं-

मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मकर संक्रांति मनाई जाएगी। प्रतिपदा तिथि का संयोग दिन भर है। मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से लेकर संध्याकाल 05 बजकर 46 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से लेकर 10 बजकर 48 मिनट तक है। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर सूर्य देव की पूजा-उपासना कर सकते हैं। वहीं, पूजा के बाद दान करें।

शिववास योग (Makar Sankranti 2025 Shivvas Yoga)
मकर संक्रांति पर दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है। शिववास योग दिन भर है। इस योग का समापन देर रात 03 बजकर 21 मिनट तक है। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे। इस समय में भगवान शिव का अभिषेक करने से घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आएगी।

भौम पुष्य योग (Makar Sankranti Bhoma Pushya Yoga)
मकर संक्रांति के दिन सुबह 10 बजकर 18 मिनट से भौम पुष्य योग का संयोग बन रहा है। इससे पूर्व पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग है। दशकों बाद मकर संक्रांति पर यह योग बना है। इस योग में सूर्य देव की साधना एवं उपासना करने से साधक को शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी। साथ ही जीवन में सुखों का संचार होगा। मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग बनने के चलते यह भौम पुष्य योग कहलाएगा।

महत्व
मकर संक्रांति पर दान का विशेष महत्व है। इस बारे में श्रीबाबुलनाथ महादेव मंदिर, मुबंई के सेवक (पुजारी) शिव कुमार पाण्डेय शास्त्री जी का कहना है कि मकर संक्रांति के दिन दान करने से जातक को अक्षय फल मिलता है। साथ ही पुण्य का फल सौ गुना बढ़ जाता है। इस शुभ अवसर पर काले तिल, काले कंबल, घी, गुड़, शहद, चप्पल एवं जूते का दान करने से साधक को मोक्ष समान फल मिलता है। अतः अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार मकर संक्रांति पर दान अवश्य करें।

करण
मकर संक्रांति के दिन बालव एवं कौलव करण के योग बन रहे हैं। सबसे पहले बालव करण के योग हैं। इसके बाद कौलव करण का संयोग है। इन योग में शुभ कार्य कर सकते हैं। साथ ही पूजा, जप-तप एवं दान-पुण्य करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से लेकर 12 बजकर 51 मिनट तक है।

पंचांग (Makar Sankranti 2025 Panchang)
सूर्योदय – सुबह 07 बजकर 15 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 46 मिनट पर
चंद्रोदय- शाम 06 बजकर 09 मिनट पर
चंद्रास्त- सुबह 07 बजकर 02 मिनट पर

शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 15 मिनट से 02 बजकर 57 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 43 मिनट से 06 बजकर 10 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – देर रात 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक

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