भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव चल रहा है. इस बीच दक्षिण चीन सागर में चीनी नौसेना के युद्धाभ्यास की तस्वीरें भी सामने आई हैं.
ग्लोबल टाइम्स ने 1 जुलाई से चल रहे युद्धाभ्यास की तस्वीरों के साथ लिखा है कि चीन के दक्षिणी, उत्तरी और पूर्वी थिएटर कमांड्स ने दक्षिणी चीन सागर, पीला सागर और पूर्वी चीन सागर में अपना नौसैनिक कौशल दिखाया है.
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक इस युद्धाभ्यास में 054 ए फ्रिगेट्स और 052 डी गाइडेड मिसाइल्स डिस्ट्रॉयर्स का बखूबी इस्तेमाल किया गया.
भारत के साथ चल रहे तनाव के बीच चीन से आ रही इन तस्वीरों को अपनी शक्ति दिखाने का उपक्रम कहा जा रहा है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञ इसे चीन की विस्तारवादी सोच का नमूना मान रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की नजर केवल गलवान पर नहीं, दक्षिण चीन सागर के द्वीपों पर भी है.
दरअसल, दक्षिण चीन सागर में लगभग 250 द्वीप हैं. इन सभी पर चीन कब्जा करना चाहता है. दुनिया का करीब एक तिहाई लगभग तीन ट्रिलियन डॉलर का व्यापार इसी समुद्री रास्ते से होता है.
चीन की मंशा है कि इन द्वीपों पर कब्जा कर यहां से गुजरने वाले हर जहाज पर नजर रखे, उन्हें रोके-टोके. रक्षा विशेषज्ञ एसपी सिन्हा ने आजतक से कहा कि चीन को सख्ती से रोकना होगा. चीन को अभी नहीं रोका गया तो कोरोना से हालात सामान्य होते ही वह इन सभी द्वीपों पर कब्जा कर लेगा.
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि जमीन पर विस्तारवाद को आजमाने के बाद चीन समुद्र में भी इसी रवैये को आगे बढ़ा रहा है.
चीन, दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता रहा है. उसे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भी इस मुद्दे पर मुंह की खानी पड़ी थी. जापान और वियतनाम दक्षिण चीन सागर में चीन की मौजूदगी का विरोध करते रहे हैं. दक्षिण चीन सागर का फ्री रहना जापान और ऑस्ट्रेलिया के द्विपक्षीय व्यापार के लिहाज से भी जरूरी है.
बता दें कि अमेरिका ने मिसाइलों से लैस अपने तीन जंगी जहाज इंडो पैसिफिक सी में भेजा है. अमेरिका के ये जंगी जहाज जापान, वियतनाम, दक्षिण कोरिया के अपने ठिकानों के पास अभ्यास करेंगे.
बता दें कि भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प हो गई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर तनावपूर्ण माहौल है. पीएम मोदी ने भी लद्दाख का दौरा कर सैन्य अधिकारियों से हालात की जानकारी ली थी.