ताइवान की उपराष्ट्रपति सियाओ बी खिम ने यूरोपीय संघ की संसद को संबोधित किया। यह ताइवान सरकार के किसी भी शीर्ष नेता का किसी विदेशी संसद में दिया गया पहला भाषण है। यही वजह है कि चीन की सरकार ने इसके प्रति कड़ी नाराजगी जाहिर की है। चीन ने चेतावनी देते हुए यूरोपीय संघ से एक चीन की नीति का पालन करने को कहा है। गौरतलब है कि चीन, ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। यूरोपीय संघ भी एक चीन सिद्धांत का समर्थक रहा है, लेकिन अब ताइवान की उपराष्ट्रपति का यूरोपीय संघ की संसद को संबोधित करना एक बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।
यूरोपीय संघ एक चीन सिद्धांत को देता है समर्थन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ताइवान की उपराष्ट्रपति सियाओ बी-खिम ने यूरोपीय संसद में दिए अपने भाषण में ताइवान स्ट्रेट में शांति और स्थिरता बनाए रखने की अपील की, और चेताया कि चीन मौजूदा स्थिति को बदलने की कोशिशें कर रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय सहमति के खिलाफ हैं। गौरतलब है कि ताइवान के सिर्फ एक यूरोपीय देश वेटिकन से आधिकारिक कूटनीतिक संबंध हैं, लेकिन वेटिकन यूरोपीय संघ का हिस्सा नहीं है।
ताइवान की अहमियत पर दिया जोर
सियाओ बी खिम ने कहा कि, ‘एक फलता-फूलता लोकतंत्र और वैश्विक सप्लाई चेन में एक मुख्य खिलाड़ी के तौर पर ताइवान की भूमिका इसे इंटरनेशनल स्थिरता और समृद्धि के लिए जरूरी बनाती है।’ उन्होंने कहा कि ‘हम सिर्फ ज़िंदा नहीं रहना चाहते, हम चाहते हैं कि लोकतंत्र फले-फूले। हमारे पास जो है, हम सिर्फ उसकी रक्षा नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम ऐसा भविष्य बना रहे हैं जैसा हम चाहते हैं, जहां लोग आजादी के साथ रह सकें और ज्यादा एकजुट और ज्यादा काबिल हों।’ सियाओ ने शनिवार को ब्रसेल्स में इंटर-पार्लियामेंट्री अलायंस ऑन चाइना (IPAC) के 2025 शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। ताइवान की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) की विधायक फैन यून ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि सियाओ ने 50 से ज्यादा देशों के सांसदों से बात करके समझाया कि ताइवान क्यों मायने रखता है।
चीन ने जताई आपत्ति
यूरोपीय संघ में चीन के दूतावास ने ताइवान की उपराष्ट्रपति के यूरोपीय संघ की संसद को संबोधित करने पर कड़ी आपत्ति जताई। चीनी दूतावास ने कहा कि ‘चीन के कड़े विरोध और गंभीर आपत्तियों के बावजूद, यूरोपीय संसद ने सियाओ जैसी प्रमुख ताइवानी अलगाववादी नेता को बैठक में शामिल होने और यूरोपियन संसद की इमारत में घुसने दिया। ग्लोबल टाइम्स ने चीनी दूतावास के हवाले से लिखा कि ‘यह काम चीन के मुख्य हितों को गंभीर नुकसान पहुंचाता है, यह एक-चीन सिद्धांत का भी गंभीर उल्लंघन है। यह चीन के अंदरूनी मामलों में दखल है, और चीन और यूरोपीय संघ के बीच के आपसी राजनीतिक भरोसे को कमजोर करता है।’
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