डीपफेक (DeepFake) के मुद्दे पर सोशल मीडिया कंपनियों के साथ बैठक के बाद केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि हम सभी इस बात पर सहमत हुए हैं कि हम जल्द ही डीपफेक के खिलाफ स्पष्ट और कार्रवाई योग्य कानून लेकर आएंगे। सभी टेक कंपनियों ने कहा है कि डीपफेक को फ्री स्पीच के तहत नहीं रखा जा सकता है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और अन्य टेक कंपनियों ने कहा है कि डीपफेक कुछ ऐसा है जो वास्तव में समाज के लिए हानिकारक है। आज इसे रेगुलेट करने के लिए मसौदा तैयार करना शुरू कर दिया जाएगा। बहुत ही कम समय में डीपफेक को लेकर नया कानून जनता के सामने हाजिर होगा।
मंत्री ने कहा कि डीपफेक लोकतंत्र के लिए एक नया खतरा बनकर उभरा है। वैष्णव ने कहा, “हमारी अगली बैठक दिसंबर के पहले सप्ताह में होगी जो आज के फैसलों पर आधारित होगी। अगली बैठक में यह तय होगा कि डीपफेक को रेगुलेट करने वाले नियमों में क्या शामिल किया जाना चाहिए।
बता दें कि पिछले कुछ दिनों में कई सारे डीपफेक वीडियोज वायरल हुए हैं जिनमें सचिन तेंदुलकर की बेटी और साउथ की एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का भी वीडियो शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी एक डीपफेक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उन्हें गरबा करते हुए दिखाया गया था।
क्या होता है डीपफेक?
डीपफेक वीडियो और वीडियो दोनों रूप में हो सकता है। इसे एक स्पेशल मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करके बनाया जाता है जिसे डीप लर्निंग कहा जाता है। डीप लर्निंग में कंप्यूटर को दो वीडियोज या फोटो दिए जाते हैं जिन्हें देखकर वह खुद ही दोनों वीडियो या फोटो को एक ही जैसा बनाता है। यह ठीक उसी तरह है जैसे बच्चा किसी चीज की नकल करता है।
इस तरह के फोटो वीडियोज में हिडेन लेयर्स होते हैं जिन्हें सिर्फ एडिटिंग सॉफ्टवेयर से ही देखा जाता है। एक लाइन में कहें तो डीपफेक, रियल इमेज-वीडियोज को बेहतर रियल फेक फोटो-वीडियोज में बदलने की एक प्रक्रिया है। डीपफेक फोटो-वीडियोज फेक होते हुए भी रियल नजर आते हैं।