दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी मोहल्ला बस योजना को अभी तक आधिकारिक तौर पर शुरू नहीं किया जा सका है। मौजूदा समय में छह रूटों पर इन बसों का ट्रायल किया जा रहा है। दो माह पहले ही लगभग 100 मोहल्ला बसें आ चुकी हैं जो डिपो में धूल खा रही हैं। इन बसों को ऐसे में क्षेत्रों में चलाने की योजना है कि जहां पर डीटीसी और क्लस्टर बसों की पहुंच नहीं है। यह बसें लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनसे न केवल प्रमुख मेट्रो स्टेशन कवर होंगे, बल्कि स्कूल-कॉलेज आदि को भी जोड़ा जाएगा। यह बसें सामान्य बसों से छोटी हैं। ऐसे में यह संकरे क्षेत्रों में भी आसानी से जा सकती हैं, इसलिए इन्हें मोहल्ला बस कहा गया है।
मोहल्ला बसें दिल्ली में लास्ट माइल कनेक्टिविटी को मजबूत करने में बहुत अहम साबित होंगी। इससे लोग निजी वाहनों को छोड़कर सार्वजनिक परिवहन को अपनाएंगे। शुरुआत में बसों को ट्रायल के तौर पर दो रूट पर चलाया गया। इसके बाद संख्या बढ़ाकर छह की गई। इन सभी जगहों पर बीते दो से तीन माह से बसों का संचालन चल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि बसों का ट्रायल भी सफल रहा है। पंजीकरण प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। बसों में सुरक्षा और निगरानी के लिए जरूरी उपकरणों की फिटिंग की जांच आदि भी की जा चुकी है।
बसों के रूट भी तय कर लिए गए हैं। शुरू में आधिकारिक तौर पर 25 से अधिक रूटों पर इन्हें चलाया जाएगा। योजना के तहत दिल्ली भर में 2000 से अधिक नौ मीटर से कम लंबाई की मोहल्ला बसें चलाने की योजना है। यह सभी बसें इलेक्ट्रिक होंगी। इसमें जीपीएस, पैनिक बटन समेत सुरक्षा के लिए कई बंदोबस्त किए गए हैं।
अड़चन जल्द होगी दूर
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बसों को लांच करने से पहले एक सर्टिफिकेट की जरूरत है। इसे लेकर बस निर्माता एजेंसियों के साथ बैठकों का दौर चल रहा है। सूत्रों ने बताया कि स्वदेशी उपकरणों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की पहल को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने के लिए जो टेंडर जारी किया गया था, उसमें इंडिजिनाइजेशन से जुड़ी कुछ शर्तें थीं। उसमें यह था कि कौन-कौन से उपकरण आयात किए जा सकते हैं और कौन से नहीं, इसकी सूची केंद्र सरकार ने बनाई हुई है। उसी आधार पर टेंडर दस्तावेज में शर्तें जोड़ी गई थीं, लेकिन जिन दो निर्माताओं से बसें खरीदी गईं, उन्होंने जब इस शर्त को पूरा करने और इंडिजिनाइजेशन का सर्टिफिकेट लेने के लिए एक्सपर्ट एजेंसी आई कैट (इंटरनैशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नॉलजी) से संपर्क किया, तो पता चला कि मार्च के बाद से आई कैट ने इंडिजिनाइजेशन सर्टिफिकेट जारी करना बंद कर दिया है।
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