केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर मंगलवार को तीखा हमला बोलते हुए नेशनल हेराल्ड मामले में जवाब मांगा है। उन्होंने कहा है कि राहुल और सोनिया गांधी दोनों ही सवालों के घेरे में हैं।
ईरानी ने कहा ‘कांग्रेस पर गिरा पर्दा उठ गया। रघुराम राजन का बयान स्पष्ट करता है कि बढ़ी हुई एनपीए के लिए कांग्रेस ही जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा और सोनिया गांधी टैक्सपेयर्स का धन गड़बड़ करना चाहते थे।’ ईरानी ने आरोप लगाया कि यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ऐसे सरकार का नेतृत्व किया जिसने भारतीय बैंकिंग व्यवस्था पर हर दिशा से हमला किया। रघुराम राजन ने कहा कि 2006-08 के बीच यूपीए के कामकाज से भारत के बैंकिंग स्ट्रक्चर में एनपीए को बढ़ा दिया।
उन्होंने यह भी कहा, ‘हमारे कई पत्रकार 2010-11 से बार-बार किसी प्रकाशन में तथ्यों को जनता के सामने पेश कर रहे हैं जो राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा सोनिया गांधी के प्रयासों के माध्यम से टैक्सपेयर्स की संपत्ति हड़पने का अनोखा प्रमाण उजागर करती है।
स्मृति ईरानी ने आगे कहा कि एसोसिएटेड जर्नल्स को खरीदा जाता है तो पता चलता है कि एसोसिएटेड जर्नल्स के पास कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का लोन दिया है जिसे राहुल गांधी महज पचास लाख रुपये में खरीदते हैं। उन्होंने अगला सवाल दागते हुए पूछा, ‘क्या हिंदुस्तान में किसी ने आज तक ऐसा कोई उदाहरण देखा जहां प्रॉफिट लॉस न करने वाली कंपनी दूसरी कंपनी का 90 करोड़ का लोन खरीदती है।’
उन्होंने आगे बताया कि एसोसिएटेड जर्नल्स नेशनल हेराल्ड जैसे कांग्रेस के कई मुखपत्र प्रकाशित करती है। ऐसे में 2012 में एक पत्रकार के सवाल का जवाब राहुल इमेल के जरिए देते हैं और बताते हैं उनकी कंपनी का ध्येय नेशनल हेराल्ड को पब्लिश करने का नहीं है। यह बात अखबार में प्रकाशित हुई।
स्मृति ने अगला सवाल उठाया कि राहुल लोन खरीदते हैं और मंशा अखबार प्रकाशित करने का नहीं है तो क्या कीजिएगा कंपनी खरीदकर। उन्होंने आगे कहा कि एसोसिएटेड जर्नल्स की संपत्तियां देश के कई शहरों में है। इस लोन को खरीदने के बाद राहुल, प्रियंका और सोनिया गांधी तीनों 99 फीसद के मालिक बनते हैं उस कंपनी के जो देश में अब हजारों करोड़ की संपत्ति रखती है। इसपर जब इनकम टैक्स में लोग सावधान होते हैं कि संपत्ति से आई हुई आय के बारे में असेसमेंट गलत है तब राहुल इनकम टैक्स रोकने और मीडिया में खबर छापने से रोकने के लिए कोर्ट गए।