टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री और उनका परिवार एक बार फिर चर्चा में हैं. दरअसल, टाटा संस की सालाना आमसभा में मिस्त्री परिवार और टाटा ग्रुप के बीच तीखी बहस हुई है. अहम बात ये है कि इस बैठक में टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा भी शामिल हुए थे.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के सूत्रों ने बताया कि बैठक में मिस्त्री परिवार की कंपनियों के प्रतिनिधियों ने समूह की दो प्रमुख कंपनियों टाटा स्टील और टाटा मोटर्स के प्रदर्शन में आई गिरावट और उनपर बढ़ते कर्ज का मुद्दा उठाया. मिस्त्री परिवार की ओर से टाटा संस के हालिया निवेश फैसलों पर भी सवाल उठाए गए. उनका कहना था कि ये निवेश नुकसान का वित्तपोषण करने के लिए किए गए.
बैठक में मिस्त्री परिवार की कंपनियों के प्रतिनिधियों ने टाटा मोटर्स और टाटा स्टील के बढ़ते घाटे और कर्ज का मुद्दा उठाया. इसके अलावा उन्होंने ऑडिटरों द्वारा टाटा स्टील यूरोप और एयर एशिया इंडिया के व्यवहार्य कंपनी बने रहने को लेकर उनकी क्षमता को लेकर की गई टिप्पणी पर भी चिंता जताई. मिस्त्री परिवार के प्रतिनिधियों ने सवाल किया कि क्या एयर एशिया इंडिया और विस्तार में निवेश से पहले टाटा संस के बोर्ड ने सही तरीके से विश्लेषण किया था.
उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि इस समय एयर एशिया इंडिया की देनदारियां उसकी मौजूदा संपत्तियों से 1,200 करोड़ रुपये अधिक हो चुकी हैं. कंपनी का नेटवर्थ पूरी तरह समाप्त हो चुका है. उन्होंने यह भी सवाल किया कि यदि टाटा इसमें संयुक्त उद्यम भागीदारों की हिस्सेदारी खरीदती है तो क्या यह विमानन कंपनी की सिर्फ देनदारियां खरीदना नहीं होगा.
हालांकि, टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह अपने पूर्ववर्ती मिस्त्री की वजह से पैदा हुई ‘अव्यवस्था’ को ठीक करने में जुटे हैं. एक अन्य सूत्र के मुताबिक चंद्रशेखरन ने कहा कि यह सारी गड़बड़ी 2013-16 के दौरान हुई जब मिस्त्री समूह के चेयरमैन थे. उन्होंने यह भी कहा कि टाटा संस द्वारा परिचालन वाली कंपनियों में निवेश समूह की कंपनियों के पूंजी ढांचे को ठीक करने और उनकी देनदारियों में किसी चूक से बचने के लिए किया गया है.
चंद्रशेखरन ने कहा कि पिछले तीन साल के दौरान टाटा स्टील के पुनर्गठन के लिए काफी प्रयास किए गए हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से टाटा स्टील और टाटा मोटर्स की पुनरोद्धार योजना प्रभावित हुई है. एयरलाइन कंपनी के नुकसान पर चंद्रशेखरन ने कहा कि इसमें निवेश की प्रतिबद्धता पहले ही जताई जा चुकी थी और टाटा संस अपनी प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटती है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एयरलाइन कारोबार को लाभ में आने में अधिक समय लगता है.
आपको बता दें कि मिस्त्री समूह की कंपनियां टाटा संस में सबसे बड़ी शेयरधारकों में से एक हैं. मिस्त्री परिवार की टाटा संस में 18.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है. वहीं, मिस्त्री परिवार के सबसे अहम सदस्य साइरस मिस्त्री को 2012 में टाटा संस का चेयरमैन भी बनाया गया लेकिन 2016 में उन्हें इस पद से हटा दिया गया था. इसके बाद दोनों पक्षों के बीच लंबी कानूनी लड़ाई छिड़ी. इस साल जनवरी में उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने के आदेश पर रोक लगा दी थी. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि न्यायाधिकरण के फैसले में ‘खामी’ है.