निवेश की योजना बना रहे हैं ऐसे में टर्म डिपॉजिट और फिक्स्ड डिपॉजिट में से किसी एक को चुनना चाहते हैं तो ये आर्टिकल आपके काम का हो सकता है। टर्म डिपॉजिट और फिक्स्ड डिपॉजिट दोनों ही रिस्क फ्री होते हैं। हालांकि, इन दोनों में अंतर समझना भी जरूरी है-
टर्म डिपॉजिट
सबसे पहले समझते हैं कि टर्म डिपॉजिट क्या होता है। दरअसल, टर्म डिपॉजिट एक निश्चित समय के लिए किए जाने वाला निवेश है। टर्म डिपॉजिट के लिए मैच्योरिटी पीरियड महीनों से शुरू होकर पांच साल की अवधि का होता है।
टर्म डिपॉजिट को बैंक, पोस्ट ऑफिस और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFCs) ऑफर करती हैं। टर्म डिपॉजिट में मिनिमम डिपॉजिट को पूरा किया जाना जरूरी है, जिसके बाद निवेशक फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट्स के साथ गारंटी रिटर्न पा सकते हैं। सुकन्या समृद्धि योजना, पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट टर्म डिपॉजिट का उदाहरण हैं।
फिक्स्ड डिपॉजिट
वहीं दूसरी ओर फिक्स्ड डिपॉजिट कुछ दिनों से लेकर 10 साल तक की समयावधि के लिए किया जाने वाला निवेश है। डिपॉजिट की गई राशी के साथ निवेशक को बैंक के सेविंग अकाउंट के मुकाबले हाई-रेट रिटर्न की सुविधा मिलती है।
फिक्स्ड डिपॉजिट और टर्म डिपॉजिट में अंतर
- फिक्स्ड डिपॉजिट और टर्म डिपॉजिट एक अंतर लॉक-इन पीरियड को लेकर देखा जाता है। टर्म डिपॉजिट का लॉक-इन पीरियड फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले छोटा यानी कम समय का होता है।
- फिक्स्ड डिपॉजिट टर्म डिपॉजिट का ही प्रकार होता है, इसमें कंपाउंड इंटरेस्ट ऑफर किया जाता है। यानी निवेशक मूल राशि और ब्याज दोनों पर ब्याज मिलता है।
- फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेशक को मैच्योरिटी से पहले ही जमा राशि निकालने की सुविधा मिलती है। हालांकि, ऐसी स्थिति में पेनल्टी भी लगती है।
- टर्म डिपॉजिट के साथ निवेशक को नॉन-क्मलेटिव पेआउट ऑप्शन (non-cumulative payout) मिलता है। इस ऑप्शन के साथ निवेशक मासिक, त्रैमासिक, छमाही और वार्षिक समयावधि पर पेआउट पा सकता है।
- फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेशक मूल राशि का 90 प्रतिशत लोन पा सकता है। वहीं, दूसरी ओर टर्म डिपॉजिट के साथ मूल राशि के 60-75% भाग लोन के रूप में पा सकता है।
- इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 80C के मुताबिक टैक्स सेवर फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश पर टैक्स डिडक्शन का फायदा लिया जा सकता है।टैक्स सेवर फिक्स्ड डिपॉजिट में 1,50,000 रुपये तक का टैक्ट डिडक्शन पाया जा सकता है।