ज्‍यादा खुश न हो भारत, सोलिह भी मालदीव से चीन को नहीं कर सकेंगे दूर, जानें क्‍यों

मालदीव में इब्राहिम मोहम्‍मद सोलिह के नया राष्‍ट्रपति चुने जाने के बाद भारत को कुछ बेहतर होने की उम्‍मीद दोबारा बंध गई है। इससे पहले यामीन सरकार के समय में भारत से मालदीव के बीच दूरियां बढ़ गई थीं। इसकी वजह चीन का मालदीव के करीब आना और सरकार का चीन के प्रति झुकाव था। लेकिन इन सभी के बीच एक बड़ा सवाल यह भी उभर कर सामने आ रहा है कि सोलिह के पदभार ग्रहण करने के बाद भारत से संबंधों में किस तरह की गरमाहट देखने को मिलेगी और चीन को वह कितना अपने से दूर कर सकेंगे। यह सवाल इस लिहाज से भी वाजिब है क्‍योंकि चीन ने यामीन सरकार के दौरान वहां पर काफी निवेश किया है। लिहाजा इन सवालों को दरकिनार नहीं किया जा सकता है।

रातोंरात नहीं बदलेंगी चीजें 
इस बाबत ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा कि सोलिह के राष्‍ट्रपति बनने के बाद भी यह कहना गलत ही होगा कि रातोंरात मालदीव में सारी चीजें भारत के पक्ष में हो जाएंगी। फिलहाल ऐसा नहीं होने वाला है। लेकिन इतना जरूर है कि यामीन सरकार के दौरान जो तल्‍खी और दूरी दोनों देशों के बीच बन गई थी वह जरूर खत्म हो जाएगी। उनका यह भी कहना था कि यामीन सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत से दूरी बढ़ाई और मालदीव को चीन और सऊदी अरब के काफी करीब ले गए थे। नई सरकार बनने के बाद यह उम्‍मीद जरूर की जा सकती है कि इस नीति में अब बदलाव आएगा और भारत के रिश्‍ते भी पहले के मुकाबले बेहतर होंगे।

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