जोर से खासने की वजह से इस महिला का हो गया ये हाल, जिसे देख दुनिया भर के डॉक्टर्स को भी कुछ नहीं आ रहा समझ में…

अमेरिका के मैसाचुसेट्स की एक महिला इतनी जोर से खांसी कि अपनी एक पसली तोड़ ली। पसली टूटने का पता तब चला जब उसकी कमर पर एक बड़ा निशान बन गया। न्यू इंग्लैंड जर्नल पर प्रकाशित खबर में 66 वर्षीय महिला का नाम नहीं दिया गया है। खबर के मुताबिक डॉक्टर ने पहले महिला को ‘फ्लू’ की दवाइयां दी थीं।

महिला करीब दो हफ्तों तक काली खांसी से पीड़ित रही और शरीर के दाईं ओर दर्द महसूस किया, लेकिन फ्लू के इलाज ने उसे किसी तरह की राहत नहीं दी। महिला ने फिर से अस्पताल का रुख किया और डॉक्टर को कमर पर पड़ा गहरा निशान दिखाया। इससे साफ था कि महिला को किसी दूसरी समस्या ने घेर लिया था। महिला का सीटी स्कैन हुआ जिसमें उसकी नौवीं पसली टूटी हुई पाई गई। पसली अपने दोनों छोरों से टूटकर अलग हो गई थी। आगे की चिकित्सकीय जांचों से पता चला कि महिला ‘बोरडेटा परटूसिस’ नामक संक्रमण से ग्रसित थी।

यह संक्रमण काली खांसी का कारण बनता है। महिला आठ वर्ष पहले इसके उपाय के लिए टीका भी लगवा चुकी थी। उसने बताया कि वह किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में भी नहीं आई, फिर भी उसे इस संक्रमण ने घेर लिया। उम्रदराज लोगों में काली खांसी बहुत गंभीर मानी जाती है, इसके कारण कई मामलों में लोगों की पसलियां टूटने की खबरें आती रहती हैं। इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों में नाक बहना, आंखों का लाल हो जाना और उनसे पानी आना, गले में खराश आना और शरीर का तापमान ज्यादा बना रहना आम है। करीब एक हफ्ते में खांसी बढ़ जाती है। डॉक्टरों को महिला का ऑपरेशन करना पड़ा। डॉक्टरों ने महिला के परिवार वालों और करीबियों को भी अगाह किया गया कि वे संक्रमण से बचने के उपाय करते रहें।

मौसम बदलने पर सर्दी-जुकाम होना आम बात है और इसकी अगले स्टेज खांसी और बुखार होते हैं। इंडिया में ज्यादातर लोग इन बीमारियों को रुटीन की बीमारी समझकर ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते हैं। अमूमन लोग इस तरह की समस्या होने पर डॉक्टर को दिखाना मुनासिब नहीं समझते हैं। कुछ लोग बीमारी को गंभीरता से लेते भी हैं को खुद डॉक्टर बन जाते हैं और किसी मेडीकल से दवाइयां लेकर या घरेलू नुस्खे का इस्तेमाल कर अपना इलाज करने में लग जाते हैं। खांसी के कारण पसली टूटने की बात आमतौर पर हजम नहीं होती है। ऐसे में यह अमेरिकी महिला इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि ऐसे लक्षणों के होने पर उन्हें गंभीरता से लिया जाए और सही से इलाज कराया जाए।

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