स्पर्म काउंट पर सेल फोन रेडिएशन के प्रभावों को निर्धारित करने के लिए कई रिसर्च किए गए हैं. सेंट्रल यूरोपियन जर्नल ऑफ यूरोलॉजी में 2014 के रिसर्स में पाया गया कि जिन पुरुषों ने अपने फोन को लंबे समय तक सामने की जेब में रखा, उनमें स्पर्म की संख्या कम थी और DNA फ्रैंगमेंटेशन के साथ स्पर्म सेल्स की संख्या ज्यादा थी. शोध के निष्कर्ष के अनुसार, ‘ऐसे पुरुष जो पिता बनने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं, खासकर जब उन्हें फर्टिलिटी की समस्या मौजूद हो, तो बेहतर होगा कि ट्राउजर की जेब में मोबाइल फोन को लंबे समय तक रखने से बचें.’
आपके पॉकेट में मौजूद किसी साइज का फोन कुछ मात्रा में रेडिएशन निकालता है और ये इनफर्टिलिटी का कारण हो सकता है. इस बारे में पहले से ही काफी चर्चा है कि हाई SAR (स्पेसिफिक अब्जॉर्प्शन रेट) वैल्यू वाले बॉडी को सेल्यूलर लेवल पर नुकसान पहुंचाते हैं. खासकर तब जब अपने फोन को कानों पर लगाकर घंटों बात करते हैं. लेकि अब इस विषय पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया कि स्मार्टफोन से निकलने वाले रेडिएशन स्पर्म को भी नुकसान पहुंचाते हैं.
फिलहाल इस बात पर कोई सहमति नहीं है कि स्मार्टफोन कैंसर का कारण बनते हैं या नहीं. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कोई निर्णायक प्रमाण भी नहीं है और अमेरिका और यूरोपीय रेगुलेटर्स की भी यही राय है. हालांकि रिसर्चर्स का मानना है कि फोन से निकलने वाला रेडिएशन स्पर्म के लिए नुकसान दायक हैं और ये इनफर्टिलिटी का कारण हो सकता है.
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फर्टिलिटी एंड स्टेरिलिटी द्वारा 2015 में किए गए एक और रिसर्च में भी स्पर्म के लिए ऐसे ही रिजल्ट दिए गए हैं जो एक घंटे के लिए रेडिएशन के कॉन्टैक्ट में थे. Vox.com की एक रिपोर्ट कहती है कि फर्टिलिटी के लिहाज से महिलाओं की तुलना में फोन रेडिएशन का ज्यादा असर पुरुषों पर होता है. ऐसा स्पर्म और ओवरी की लोकेशन की वजह से होता है. ओवरी महिलाओं के शरीर में काफी अंदर मौजूद होते हैं जहां तक रेडिएशन का असर आसानी से नहीं पहुंच पाता. दूसरी तरफ पुरुषों की बॉडी में स्पर्म सेल्स टेस्टिस में मौजूद होते हैं जो बॉडी के बाहर होता है. ऐसे में रेडिएशन का असर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा तेजी से होता है.
अब तक पुरुषों की फर्टिलिटी पर फोन से होन प्रभावों को औपचारिक रूप से साबित नहीं किया गया है, लेकिन सार ये है कि फोन रेडिएशन निकालते हैं जो स्पर्म के लिए अच्छा नहीं है.