चाइल्ड पोर्नग्राफी को छोड़कर किसी भी वेबसाइट को देखना जुर्म नहीं है. अगर आप आईएसआईएस और आईएसआई की वेबसाइट को भी इंटरनेट पर सर्च करते हैं तो ये कोई जुर्म नहीं है. इस आधार पर पुलिस आपको परेशान नहीं कर सकती है या फिर ऐसा करने से आप आतंकवादी साबित नहीं होते हैं.
कई महीने से गायब चल रहे जेएनयू छात्र नजीब के मामले में दिल्ली पुलिस ने एक खुलासा किया है. दिल्ली पुलिस का कहना है कि गायब चल रहे नजीब ने आईएसआईएस की वेबसाइट को सर्च किया था. अपने इस बयान से दिल्ली पुलिस कई आशंकाओं को जोड़कर चल रही है.
महापुरुषों पर सवाल क्यों?
लेकिन साइबर लॉ एक्सपर्ट रक्षित टंडन बताते हैं कि आतंकवादी संगठन हो या फिर दुश्मन देश उसकी किसी भी वेबसाइट को देखने पर कोई जुर्म नहीं बनता है. अगर कोई इसे जुर्म मानता है तो वो गलत है. टंडन का कहना है कि पुलिस, सेना, पत्रकार, एथिकल हैकर और शोध छात्र सहित बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो इस तरह की वेबसाइट को सर्च करते हैं.
लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि वो किसी आतंकवादी या अपराध से प्रभावित हैं. और फिर सबसे बड़ी बात ये कि साइबर क्राइम हो या फिर दूसरे किसी कानून में इसे कोई जुर्म नहीं माना गया है.
अगर आप ऐसा करते हैं तो आप जुर्म कर रहे हैं
साइबर क्राइम सेल के एडवाइजर और साइबर लॉ एक्सपर्ट रक्षित टंडन बताते हैं कि अगर आप आईएसआईएस या फिर किसी दूसरे आतंकवादी या अपराधी की वेबसाइट पर सर्च करते हैं. वेबसाइट से कोई वीडियो या फिर मैसेज डाउनलोड करते हैं. उस मैसेज और वीडियो को दूसरे लोगों में बांटते हैं तो ये एक जुर्म है. ऐसा करके आप उस आतंकवादी या आपराधिक संगठन की विचारधारा को बढ़ा रहे हैं.