यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र (ईईए) से बाहर के देशों के लोग 18,600 सौ पाउंड (करीब साढ़े 15 लाख रुपये) की सालाना कमाई होने पर ही ब्रिटेन में जीवनसाथी को साथ रख पाएंगे।
2012 में लागू किए गए इस नियम पर बुधवार को ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी। सात न्यायाधीशों की पीठ ने इसे वैध करार दिया। इस फैसले से बड़ी संख्या में भारतीयों के भी प्रभावित होने का अंदेशा है।
नियमों के मुताबिक ईईए क्षेत्र से बाहर के दंपती 22,400 पौंड की कमाई होने पर ही अपने साथ एक बच्चा रख पाएंगे। हर अतिरिक्त बच्चे के लिए इसमें चार सौ पौंड की राशि जुड़ जाएगी।
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इस फैसले के खिलाफ पीड़ितों के एक समूह ने शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इनमें दो पाकिस्तानी मूल के हैं।ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि यह नियम राष्ट्रीय हित में आव्रजन नीति बनाने का आधार है।गौरतलब है कि जब यह नियम लागू किया गया था उस समय मौजूदा प्रधानमंत्री टेरीजा मे ब्रिटेन की गृह मंत्री थीं।उस समय गृह मंत्रालय ने कहा था कि करदाताओं पर से प्रवासियों का भार कम करने के लिए ये नियम बनाए गए हैं।
2013 में ब्रिटिश संसद की एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस नियम के कारण परिवार बंट रहे हैं और बच्चे अपने माता-पिता से अलग रहने को मजबूर हैं। 2015 में आई एक अन्य रिपोर्ट में भी इस संकट की ओर ध्यान खींचा गया था।
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