यूपी के सरकारी अस्पतालों में आने वाले दिनों में बेड की किल्लत नहीं रहेगी। अस्पताल आने वाले गंभीर मरीजों को यहां-वहां दौड़ना नहीं पड़ेगा। उन्हें पीएचसी-सीएचसी पर भी बखूबी इलाज मिलेगा। राज्य सरकार द्वारा जिला स्तरीय अस्पतालों से लेकर प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है। इन सभी अस्पतालों में न्यूनतम 06 से लेकर 42 बेड तक बढ़ाए जाएंगे।
कोरोना के बाद प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र में खासा बदलाव आया है। खासतौर से इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने पर सरकार का फोकस है। दरअसल जनसंख्या बढ़ने के साथ ही सरकारी अस्पतालों में भीड़ भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में शहरों से लेकर गांवों तक के सभी अस्पतालों में मूलभूत सुविधाओं में इजाफा किया जा रहा है। इन अस्पतालों में सफाई के साथ ही स्टाफ और डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर है। हालिया दिनों में कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां बिना जाए ही डॉक्टरों की नौकरी चल रही थी।
नए अस्पताल बनाने में खर्च भी ज्यादा है सो नयों के निर्माण के साथ ही पुरानों को अपग्रेड करने पर फोकस किया जा रहा है। नये अस्पतालों के निर्माण में कई तरह के पेंच भी हैं। पहले तो सिर्फ निजी या सरकारी दान की भूमि पर ही सीएचसी-पीएचसी बनाने की व्यवस्था थी। राज्य सरकार ने इसमें भी बदलाव किया है। जिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 04 बेड हैं, वहां अब 06 बेड और बढ़ाए जा रहे हैं। इसी तरह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी 30 से बढ़ाकर 50 बेड करने की योजना है। वहीं जिला स्तरीय अस्पतालों में जगह और जरूरत के हिसाब से बेड की संख्या में वृद्धि होनी है। यह संख्या 32 से लेकर 42 तक है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, महानिदेशक, डा. लिली सिंह ने कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है। जिलों के अस्पतालों के साथ ही सीएचसी और पीएचसी में 06 से लेकर 42 तक बेड बढ़ेंगे।
कहां कितने बेड
278-जिला स्तरीय अस्पताल प्रदेश में हैं।
3649-प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
943-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
25848-स्वास्थ्य उपकेंद्र
अस्पताल के यह हैं मानक
जिला चिकित्सालय 1-2 प्रति जनपद
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 1.20 लाख की आबादी पर एक
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 30 हजार की आबादी पर एक
स्वास्थ्य उपकेंद्र 05 हजार की आबादी पर एक