जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि विभिन्न स्थानों पर घटनाएं हुई हैं, इसलिए यहां सुनवाई संभव नहीं है। आपको संबंधित हाईकोर्ट जाना होगा। हाईकोर्ट गिरफ्तारी सहित किसी भी तरह का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक जांच कराने से भी इनकार कर दिया है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। यह कानून और व्यवस्था की समस्या है, बसें कैसे जल गईं? चीफ जस्टिस ने कहा कि ये मामला हाईकोर्ट क्यों नहीं ले जाया गया?
जामिया और एएमयू छात्रों की वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा ये एक से ज्यादा राज्यों का मामला है इसलिए इसकी एसआईटी जांच जरूरी है। अदालत इस मामले से किनारा कैसे कर सकती है। अदालत ने तेलंगाना एनकाउंटर मामले की भी सुनवाई की थी। हम इस मामले में इसी तरह का निर्देश चाहते हैं।
इस पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, तेलंगाना मामले में एक आयोग का गठन कर जांच कराई जा सकती थी, लेकिन इस मामले में कोई कमेटी ही नहीं बनी है जो पूरे देश के मामलों को देख सके।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पुलिस को एफआईआर दर्ज करने से नहीं रोक सकते हैं। कोई कानून तोड़ता है तो पुलिस क्या कर सकती है। अदालत ने कहा कि आप इस मामले में हाईकोर्ट भी जा सकते हैं।
अदालत में पुलिस का पक्ष तुषार मेहता ने रखा। उन्होंने कहा कि 68 जख्मी लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया। अदालत ने पुलिस से पूछा कि बिना पूछे गिरफ्तारी क्यों की गई, इस पर उन्होंने कहा कि किसी भी छात्र को गिरफ्तार नहीं किया गया है। कोई भी जेल में नहीं है।
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