मार्गशीर्ष मास में कई व्रत एवं पर्व मनाए जाते हैं। इन्हीं में एक है गीता जयंती पर्व जिसे मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन मोक्षदा एकादशी व्रत भी रखा जाता है। बता दें कि हिन्दू धर्म में भगवत गीता का विशेष महत्व है। इसलिए गीता जयंती के दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ-साथ भगवत गीता (Bhagwat Gita) की भी पूजा की जाती है। साथ ही कई जगहों पर गीता जयंती के सन्दर्भ में कार्यक्रम रखे जाते हैं और गीता के उपदेश को अधिक लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि महाभारत के युद्ध में जब धनुर्धर अर्जुन दुविधा में फंसे हुए थे तब भगवान श्री कृष्ण ने उनको गीता का उपदेश दिया था। आइए जानते हैं कब है गीता जयंती। शुभ मुहूर्त और इसका महत्व।

गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी व्रत तिथि
हिन्दू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारम्भ 03 दिसम्बर 2022, शनिवार के दिन सुबह 05:33 पर होगा और इसका समापन अगले दिन यानि 04 दिसम्बर को सुबह 05:34 मिनट पर होगा। इसलिए गीता जयंती पर्व व मोक्षदा एकादशी व्रत 3 दिसम्बर के दिन रखा जाएगा।
गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी व्रत का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार गीता जयंती के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था और जीवन के अमूल्य रहस्यों से अवगत कराया था। इसलिए इस दिन जीवन में नकारात्मकता रूपी अन्धकार को दूर करने के लिए भगवत गीता की पूजा की जाती है। वहीं शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि मोक्षदा एकादशी पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से और व्रत रखने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मोक्षदा एकादशी पूजा विधि
गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी पर भगवान श्री कृष्ण और भगवत गीता की पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान कर लें और साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की विधिवत पूजा करें और व्रत का संकल्प लें। पूजा के दौरान श्री कृष्ण को धूप, दीप, गंध, पुष्प आदि अर्पित करें और ऐसा ही श्रीमद्भागवत गीता की पूजा के दौरान भी करें। एकादशी व्रत के दिन दीप-दान करना बिलकुल ना भूलें।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal