जानें यहां क्या है खास, दिल्ली की पहली मॉडर्न इमारत है विधानसभा

राजधानी में अलीपुर रोड से दिल्ली यूनिवर्सिटी कैंपस की तरफ बढ़ते ही सड़क के दायीं ओर दिल्ली विधानसभा की सफेद इमारत नजर आती है। इसे पुराना सचिवालय के नाम से जाना जाता है। ब्रिटिश सरकार ने 1911 में कोलकाता से देश की राजधानी को दिल्ली में शिफ्ट किया तो पहले यही इमारत बनवाई गई। इसके डिजाइनर थे ई. मॉन्टेग्यू थॉमस।

 

जानेंगे इमारत से जुड़ी कुछ और दूसरी रोचक बातें। जब दिल्ली की मॉडर्न इमारतों की बात होती है तो एडविन लुटियन, ए. हरबर्ट बेकर, रॉबर्ट टोर रसेल और वॉल्टर जॉर्ज जैसे डिजाइनर्स का नाम सबसे पहले आता है। इसी तरह दिल्ली विधानसभा की इमारत भी है, जिसके डिजाइनर थे ई. मॉन्टेग्यू थॉमस।

डिजाइनर के बारे में

ई. मॉन्टेग्यू ने डिजाइन तैयार करते हुए 10 एकड़ का स्पेस हरियाली के लिए रखा। इमारत चंद्रावल गांव की जमीन पर बनी, यहां के लोगों को जमीन के बदले किरोड़ीमल कॉलेज के पास जगह मिली, जिसे चंद्रावल गांव कहा जाता है। इमारत एक साल बाद 1912 में तैयार हुई। यही अफसोस है कि इसके निर्माता की कोई फोटो यहां नहीं दिखती।

सिंध (अब पाकिस्तान) के शहर सक्कर के सेठ फतेह चंद इसके ठेकेदार थे। उन्हें राजधानी का पहला नामवर सिंधी माना जा सकता है। उन्होंने आगे कुछ सरकारी इमारतों के लिए भी ठेकेदारी की। बाद में वे हरिद्वार में ही बस गए।

देखे कई उतार-चढ़ाव

पुराने सचिवालय ने एक दशक तक सरकार के सचिवालय की भूमिका निभाई। यहां हुई चर्चाओं व विधायी प्रक्रियाओं ने मौजूदा संसद की नींव रखी। दिल्ली यूनिवर्सिटी का पहला दीक्षांत समारोह 26 मार्च 1923 को यहीं हुआ। आजादी के बाद भी कुछ समय यहां सरकारी विभागों के दफ्तर रहे। 1952 में पहली दिल्ली विधानसभा गठित हुई, जिसे 1956 में भंग कर दिया गया। साल 1993 में विधान सभा को फिर से स्थापित किया गया। यहां महात्मा गांधी, मदन मोहन मालवीय और पटेल की मूर्तियां लगीं। कुछ समय पहले दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री चौ. ब्रह्मप्रकाश और भगत सिंह की मूर्तियां भी यहां लगीं।

महत्व और भी है

यह इमारत कहीं न कहीं जालियांवाला बाग नरसंहार से भी जुड़ी है। जालियांवाला बाग में जनता गोरी सरकार द्वारा पारित किए गए रॉलेट एक्ट के खिलाफ 13 अप्रैल 1919 को एकत्र हुई थी। इस बिल को 17 मार्च 1919 को पुराना सचिवालय, अब दिल्ली विधानसभा में सेंट्रल लेजिस्लेचर काउंसिल ने पारित किया था। बिल के पारित होने से गोरी सरकार को देश में आंतरिक शांति बनाए रखने के बहाने किसी को भी जेल में ठूंसने का अधिकार मिल गया। इस एक्ट पर हुई बहस को सुनने यहां खुद महात्मा गांधी आए थे। तब वे सेंट स्टीफंस कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. सुशील रुद्रा के कश्मीरी गेट स्थित कॉलेज परिसर में स्थित आवास में ठहरे थे।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com