प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली मां के खानपान को लेकर घर के बड़े-बुजुर्ग अक्सर यह सलाह देते हुए नजर आते हैं कि प्रेग्नेंट महिला की अगर खाने की किसी इच्छा को पूरा न किया जाए, तो होने वाले बच्चे की लार टपकती रहती है। इन सब धारणाओं से हटकर, डॉक्टर मानते हैं कि छोटे बच्चों की लार गिरने का मतलब है कि बच्चों का विकास हो रहा है। बच्चों के मुंह से लार गिरने को अंग्रेजी भाषा में ड्रलिंग (Drooling) कहा जाता है। मुंह में स्थित लार ग्रंथियां लार बनाती हैं, जब यह ज्यादा लार बनने लगती है तब बच्चा संभाल नहीं पाता और वह मुंह से बाहर गिरने लगती है। आमतौर पर डॉक्टर मानते हैं कि 6 से 9 महीने तक के बच्चों के मुंह से लार टपकना आम बात है। पर इससे ज्यादा उम्र तक अगर लार टपकती है तो यह परेशानी की बात भी हो सकती है। ऐसे में आइए जानते हैं आखिर छोटे बच्चों के मुंह से क्यों टपकती रहती है लार और क्या हैं इसके लक्षण और उपाय।
बच्चों के मुंह से लार गिरने के पीछे वजह-
बच्चों के मुंह से सलाइवा या लार टपकाने के कई कारण हो सकते हैं। उनके मुंह में दांतों का आना, मसूड़ों का टाइट होना, मुंह का अंदर से छिलना, लार ग्रंथि का विकसित होना, मुंह में छाले। इन सबके अलावा बच्चों को निगलना नहीं आता जिसकी वजह से वे लार टपकाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों का लार टपकाना उनके सही विकास का संकेत माना जाता है।
कैसे रोकें मुंह से लार गिरना-
दो साल तक के बच्चे के मुंह से अगर लार गिरती है तो वह सामान्य बात है, लेकिन बड़ी उम्र तक बच्चे का ज्यादा लार गिरना किसी मानसिक बीमारी का कारण भी बन सकता है। जिसे रोकने के लिए आप ये उपाय आजमा सकते हैं।
आदत विकसित करें-
अगर बच्चा आपकी बात समझ रहा है तो उसे धीरे-धीरे समझाना शुरू करें कि लार न गिराए। दूसरा, बच्चे के साथ हमेशा एक रूमाल साथ रखें जिससे बच्चे की लार साफ की जा सके।
थेरेपी-
दो साल के बाद भी अगर आपका बच्चा बहुत ज्यादा लार गिराता है तो उसे अच्छे डॉक्टर की जरूरत है। ऐसे बच्चों का इलाज स्पीच और ऑक्यूपेशनल थेरेपी से किया जाता है। जिससे बच्चों को लार निगलना और होंठों को बंद रखना सिखाया जाता है। इससे बच्चे के मुंह की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं।
दवाएं-
जरूरत से ज्यादा लार बनने पर डॉक्टर कुछ दवाएं मरीज को देते हैं। इन दवाओं से लार बनने की प्रक्रिया में कमी आती है। इस तरह भी बच्चे के मुंह से लार गिरने का इलाज किया जा सकता है।