आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच बीते 14 दिनों से छिड़ी लड़ाई रूस के हस्तक्षेप के बाद आखिरकार बंद हो गई है। रूस के हस्तक्षेप के बाद दोनों ही देश शांतिवार्ता करने को भी तैयार हुए हैं। हालांकि दोनों ही देश एक दूसरे पर युद्ध विराम का उल्लंघन करने का भी आरोप लगा रहे हैं। रूस की पहल ने वहां के सैकड़ों लोगों की जिंदगी को भी बचा लिया है। यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने भी इस युद्धविराम का स्वागत किया है। उनके प्रवक्ता स्तेफान दुजैरिक ने एक बयान जारी कर बताया कि महासचिव ने मानवीय राहत युद्धविराम पर समझौता होने का स्वागत किया है। उन्होंने रूस की इस समझौते के लिए किए गए मध्यस्थता प्रयासों के लिये रूस की सराहना भी की है।
रूस के हस्तक्षेप के बाद आखिरकार नागोरनो-काराबाख में शनिवार दोपहर से गोलाबारी की आवाज आनी बंद हो गई है। इससे यहां पर रहने वाले नागरिकों ने भी राहत की सांस ली है। गौरतलब है कि नागोरनो-काराबाख क्षेत्र में 27 सितंबर को दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ गया था। यह क्षेत्र अजरबैजान के तहत आता है लेकिन इस पर स्थानीय आर्मीनियाई बलों का नियंत्रण है। इन दोनों के बीच छिड़ा ये युद्ध बीते 16 वर्षों का सबसे भीषण युद्ध बताया गया है। इस क्षेत्र में यूं तो दोनों के बीच संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है जिसमें अब तक हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई है।
दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम को अंजाम देने में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अहम भूमिका रही। उनके कहने के बाद रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस मकसद को को पूरा करने के लिए दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच 10 घंटे की मैराथन वार्ता की, जिसके बाद ये युद्ध विराम हो पाया। वार्ता के बाद उन्होंने कहा कि आगे होने वाली वार्ता से कुछ और हल भी जरूर निकलेगा। रूस के विदेश मंत्री ने ही दोनों देशों के बीच हुए समझौते की जानकारी दी और उनका बयान भी पत्रकारों को पढ़कर सुनाया। ताजा संघर्ष के बाद से आर्मीनिया संघर्ष विराम के लिए तैयार था, जबकि अजरबैजान ने कहा था कि यह तभी संभव होगा, जब आर्मीनिया के बल नागोरनो काराबाख से पीछे हट जाए।
आपको बता दें कि आर्मीनिया के साथ रूस का सुरक्षा करार है। इसके अलावा रूस के अजरबैजान के साथ भी अच्छे संबंध है। यदि यह संघर्षविराम जारी रहता है, तो यह रूस का बड़ा राजनयिक कदम साबित होगा। नागोरनो-काराबाख सेना के मुताबिक संघर्ष की शुरुाअत से अब तक इसमें उसके 404 कर्मी मारे जा चुके हैं। अजरबैजान ने अपने सैन्य नुकसान की जानकारी नहीं दी है। दोनों ओर के सैकड़ों आम नागरिक भी इस दौरान मारे गए हैं। संघर्ष विराम लागू होने के बाद आर्मीनिया की सेना ने अजरबैजान पर युद्ध विराम के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा कि अजरबैजान की सेना ने उसके कापान कस्बे के निकट इलाके में गोलेबारी की जिसमें एक नागरिक की मौत हो गई। हालांकि अजरबैजान ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। इसके उलट अजरबैजान की सेना ने आर्मीनिया पर उसके टेर्टर और अदगाम क्षेत्रों में मिसाइलों से हमले का आरोप लगाया, जिसे आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय ने खारिज कर दिया।