गेहूं और धान की खेती में पंजाब के किसान पहले से ही आगे रहे हैं। अब इस राज्य के किसान प्याज की खेती में भी अपनी कामयाबी का झंडा गाड़ेंगे। दरअसल राज्य सरकार नीदरलैंड के सहयोग से राज्य में एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फोर ओनियन बना रही है। इससे राज्य के किसान उन्नत तकनीक की सहायता से बेहतर उत्पादन ले सकेंगे।
पंजाब सरकार की योजना सफल रही तो देश में लोगों को प्याज के आंसू नहीं रोने पड़ेंगे। अपने यहां तो लगभग हर साल दशहरा-दिवाली से लेकर दिसंबर-जनवरी तक देश में प्याज की कीमतों में भारी इजाफा हो जाता है। इस स्थिति में समाधान के लिए पंजाब सरकार सामने आई है। राज्य सरकार नीदरलैंड के सहयोग से प्याज पर एक एक्सीलेंस सेंटर बना रही है। माना जा रहा है कि इस सेंटर के बन जाने के बाद यहां के किसान प्याज की खेती में भी अपनी कामयाबी का झंडा गाड़ेंगे। इससे पहले राज्य के किसान गेहूं और धान की खेती में अपनी कामयाबी का झंडा गाड़ चुके हैं।
कहां बनेगा ओनियन एक्सीलेंस सेंटर
पंजाब सरकार ने संगरूर जिले के खीरी गांव में प्याज के लिए एक्सीलेंस सेंटर बनाने का फैसला किया है। इस पहल का मकसद किसानों को पारंपरिक फसलों का विकल्प देना है। ऐसा समझा जा रहा है कि प्याज की उन्नत किस्म आने के बाद इसकी उत्पादकता बढ़ेगी। इससे किसानों की लाभप्रदता भी बढ़ेगी। इससे किसान खेतों में पारंपरिक फसल उगाने के बजाय प्याज को प्राथमिकता देंगे।
नीदरलैंड के सहयोग से बनेगा सेंटर
पंजाब के बागवानी मंत्री फौजा सिंह सरारी ने शुक्रवार को यहां बताया कि नीदरलैंड के सहयोग से प्याज पर एक्सीलेंस सेंटर बनेगा। देखा जाए तो नीदरलैंड के सहयोग से यह राज्य में स्थापित होने वाला यह तीसरा एक्सीलेंस सेंटर होगा। इससे पहले जालंधर के धोगरी में बन चुका है। इस केंद्र में मुख्य रूप से आलू के बीज पर काम होता है। पंजाब में ही दूसरा लुधियाना के दोराहा में बन रहा है। यह Centre for floriculture होगा, जिसमें सीड प्रोडक्शन टेक्नोलोजी पर ध्यान दिया जाएगा। पंजाब में ही सब्जियों की खेती के लिए करतारपुर में Indo-Israel Centre of Excellence है जबकि होशियारपुर के खनौरा में साइट्रस फ्रूट के लिए Indo-Israel Centre of Excellence बनाया जा चुका है।
किसानों के लिए इसकी खेती लाभप्रद होगी
फौजा सिंह का कहना है कि केंद्र का उद्देश्य पंजाब के किसानों को प्याज की खेती से जुड़ी नवीनतम वैज्ञानिक उपलब्धियों से परिचित कराना है। साथ ही उन्हें पारंपरिक रूप से दो फसलों की खेती के मकड़जाल से बाहर निकालना भी है। अभी जो खेती की पद्धति अपनाई जा रही है उससे राज्य में जल स्तर बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। उनका कहना है कि किसानों के लिए इसकी खेती लाभप्रद होगी तो प्राकृतिक संसाधनों को कंजर्व करने में तो मदद मिलेगी ही, पर्यावरण को बचाने में भी मदद मिलेगी।
किसानों की आमदनी अपने आप बढ़ जाएगी
मंत्री का कहना है कि अभी राज्य में प्रति हैक्टेअर उत्पादकता 22 टन है। प्याज पर जो एक्सीलेंस सेंटर बन रहा है, उसकी प्राथमिकता इस उत्पादकता को 40 टन पर ले जाना है। यही नहीं, केंद्र यहां के किसानों को प्याज को उखाड़ने के बाद उसे सही ढंग से भंडारण करना भी सिखाएगा। अभी प्याज में पोस्ट हार्वेस्ट लॉस 30 फीसदी तक है। इसे कम करने से किसानों की आमदनी अपने आप बढ़ जाएगी।