जानिए, मकर संक्रांति पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी, और क्या है महत्व?

जानिए, मकर संक्रांति पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी, और क्या है महत्व?

मकर संक्रांति का त्योहार हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में शामिल है, जो सूर्य के उत्तरायण होने पर मनाया जाता है. इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है और सूर्य के उत्तरायण की गति प्रारंभ होती है. भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति के पर्व को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है. आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे संक्रांति कहा जाता है, तमिलनाडु में इसे पोंगल पर्व के रूप में मनाया जाता है. पंजाब और हरियाणा में इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है और लोहड़ी पर्व मनाया जाता है, वहीं असम में बिहू के रूप में इस पर्व को उल्लास के साथ मनाया जाता है.जानिए, मकर संक्रांति पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी, और क्या है महत्व?

मकर संक्रांति पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी?

– संक्रांति पर चावल, दाल, हल्दी, नमक और सब्जियों की खिचड़ी बनती है

– चावल चन्द्रमा का प्रतीक है

– काली उरद की दाल शनि का प्रतीक है

– हल्दी बृहस्पति और नमक शुक्र का प्रतीक है

– हरी सब्जियां बुध से संबंध रखती हैं 

– खिचड़ी की गरमी मंगल और सूर्य से जुड़ी है

– इस प्रकार खिचड़ी खाने से सारे ग्रह मजबूत होते हैं

– मकर संक्रांति पर नए अन्न की खिचड़ी खाने से पूरे साल आरोग्य मिलता है

– इस अनोखे भोजन से शरीर नए मौसम के लिए तैयार होता है

– खिचड़ी ताज़ी ही खानी चाहिए और इसके साथ घी ज़रूर खाना चाहिए

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