माँ आदिशक्ति को पूजने, मनाने, एवं उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे उत्तम समय आश्विन शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा से नवमी तक होता है। आश्विन महीने में आने वाले इस नवरात्र को शारदीय नवरात्र कहा जाता है। इस नवरात्र की खासियत यह है कि हम घरों में कलश स्थापना के साथ ही पूजा पंडालों में भी स्थापित करके मां भगवती की उपासना करते हैं।

उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने इस बारे में बताया है कि इस शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल पक्ष की उदय कालिक प्रतिपदा तिथि 17 अक्टूबर दिन शनिवार से आरंभ हो रहे हैं। प्रतिपदा तिथि को माता के प्रथम स्वरूप शैल पुत्री के साथ ही कलश स्थापना के लिए भी बेहद अहम दिवस होता है। कलश स्थापना या कोई भी शुभ कार्य शुभ मुहूर्त एवं तिथि में किया जाना उत्तम होता है। इसलिए इस दिन कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त पर विचार किया जाना बेहद जरुरी है।
बता दें कि अभिजीत मुहूर्त सभी शुभ कार्यों के लिए अति उत्तम माना जाता है। जो कल मध्यान्ह 11:36 से 12:24 तक रहेगा। चूंकि चित्रा नक्षत्र में कलश स्थापना को सही नहीं माना गया है। अतः चित्रा नक्षत्र की समाप्ति दिन में 2:20 बजे के बाद होगी, जिसके बाद कलश स्थापना की जा सकेगी। स्थिर लग्न कुम्भ दोपहर 2:30 से 3:55 तक रहेगा, इसके साथ ही इस समय शुभ चौघड़िया भी रहेगा। अतः यह समय कलश स्थापना हेतु अतिउत्तम है। दूसरा स्थिर लग्न वृष रात में 07:06 से 09:02 बजे तक रहेगा, लेकिन इस दौरान चौघड़िया 07:30 तक ही शुभ है अतः 07:08 से 07:30 बजे के बीच मे कलश स्थापना की जा सकती है।
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