हर घर की बनावट अलग होती है. दिशा भी अलग होती है. हर घर में सामान भी अलग-अलग तरीके से रखे होते हैं. वास्तु के अनुसार आइए जानते हैं. क्या है घरों की बनावट के हिसाब से उनका ग्रह. साथ ही जानते हैं कि कौन सा उपाय करने से आपको फल मिलेंगे.
सूर्य का मकान-
अगर आपके घर का मुख पूर्व दिशा की तरफ है तो मकान पूर्वमुखी होगा. इसे सूर्य का मकान भी कहते हैं. इसके अलावा अधिकतर मकानों में पानी का स्थान गेट में दाखिल होते ही दाएं हाथ पर होगा. यदि तेज फल का वृक्ष लगा हो और बड़ा सा दरवाजा भी हो, तो यह सूर्य का पक्का घर है. यदि हवा से ज्यादा प्रकाश है, तो ज्यादा प्रकाश भी जिंदगी में अंधेरा ला देता है. इस मकान के अंदर का वास्तु ठीक होना जरूरी है तभी यह फल देगा.
चन्द्र का मकान-
हालांकि चन्द्र की दिशा वायव्य है लेकिन चन्द्र का मकान अधिकतर पश्चिम या उत्तर कोण में होता है. यदि यह इस कोण में नहीं है, तो फिर मकान से 24-25 कदम दूर या ठीक सामने कुआं, हैंडपंप, तालाब या बहता हुआ पानी अवश्य होगा तब ऐसी स्थिति में भी यह चन्द्र का मकान होगा. यदि घर के आसपास दूध वाले वृक्ष अधिक हैं, तो भी यह चन्द्र का मकान होगा. लेकिन यदि इस मकान के आसपास शनि से संबंधित पेड़-पौधे हैं, तो यह चन्द्र-शनि से युक्त मकान होगा, जो कि हानिकारक है.
मंगल का मकान-
मंगल ग्रह की दिशा दक्षिण है. यदि आपकी कुंडली में मंगल बद है, तो आपको यह मकान नसीब होगा. यदि मकान दक्षिणमुखी है, तो नीम का पेड़ तय करेगा कि मंगल शुभ असर देगा या नहीं? नीम के पेड़ से दक्षिण दिशा का बुरा असर वैसे कम होता है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं कि घर फलदायी होगा या नहीं?
बुध का मकान-
उत्तर दिशा के मकान के अलावा बुध ग्रह के मकान की निशानी है कि उसके चारों ओर खाली जगह रहती है. हो सकता है कि यह मकान सभी मकानों से अलग-थलग अकेला नजर आता हो. यदि ऐसा नहीं है, तो मकान के आसपास चौड़े पत्तों के वृक्ष होंगे. यदि गुरु और चन्द्र के वृक्ष के साथ मकान हुआ, तो वह घर बुध की दुश्मनी का घर होगा अर्थात नौकरी और व्यवसाय के लिए हानिकारक.
बृहस्पति का मकान-
बृहस्पति अर्थात गुरु का मकान बहुत ही सुहाना होता है। ऐसे मकान में सुहानी हवा के रास्ते होते हैं. अक्सर ऐसे घरों के सामने पीपल का वृक्ष या धर्मस्थल जरूर होता है. इसका दरवाजा ईशान या उत्तर में होता है. यहां कभी भी घटना या दुर्घटना नहीं होती, दिमाग शांत रहता है और ऐसे घरों के सदस्यों का मान-सम्मान बढ़ता रहता है. लेकिन शर्त यह कि गुरु ग्रह के दुश्मन ग्रहों से संबंधित वृक्ष घर के आसपास नहीं होना चाहिए.
शुक्र का मकान-
वैसे शुक्र आग्नेय कोण का स्वामी है लेकिन इसके अलावा घर में किसी एक जगह पर कच्चा स्थान छोड़ रखा है, तो समझो वहां शुक्र का असर होगा. यदि पूरे घर में ही फर्श नहीं लगा, तो शुक्र का घर माना जाएगा. घर के आसपास कपास, मनीप्लांट या जमीन पर आगे बढ़ने वाली लेटी हुई कोई भी बेल है, तो वह शुक्र का पक्का घर है. शुक्र और चन्द्र की दिशा एक समान है. अक्सर गांवों में इस तरह के मकान होते हैं.
शनि का मकान-
पश्चिम दिशा के द्वार के अलावा घर किसी भी दिशा में है और उसमें तलघर है, तो यह शनि के असर वाला मकान होगा. यदि तलघर नहीं भी है लेकिन कीकर, आम और खजूर के वृक्ष हैं, तो यह शनि का मकान होगा. तीनों हैं, तो पक्के रूप में इस मकान पर शनि का असर होगा. पीछे की दीवार कच्ची होती है. यदि वह दीवार गिर जाए, तो शनि के खराब होने की निशानी है.
राहु का मकान-
नैऋत्य कोण राहु का कोण है. शौचालय में राहु का स्थान होता है. इसके अलावा राहु का मकान भीतर से भयानक अहसास वाला होता है. यदि राहु का अच्छा असर है, तो यह खानदानी और धनपति का मकान होगा और यदि राहु का असर खराब है, तो यह भूतों का मकान होगा. कई दिनों से खाली पड़ा डरावना-सा मकान भी राहु के असर वाला होगा. इस घर के आसपास कैक्टस, बबूल का पेड़ या कांटेदार झाड़ियां हैं, तो हो यह राहु का ही मकान होगा. ऐसे मकान में हत्या या आत्महत्या हो सकती है. यदि आपका घर ऐसा है, तो आपके रिश्तेदार आपके यहां कम ही आते होंगे.
केतु का मकान-
केतु का मकान अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी। केतु के मकान की निशानी है कि यह मकान कोने का होगा. 3 तरफ मकान, एक तरफ खुला या 3 तरफ खुला हुआ और एक तरफ कोई साथी मकान या खुद उस मकान में 3 तरफ खुला होगा. केतु के मकान में नर संतानें लड़के चाहे पोते हों, लेकिन कुल 3 ही होंगे. हो सकता है कि मकान के आसपास इमली का वृक्ष, तिल के पौधे या केले का वृक्ष हो. इस मकान में बच्चों से संबंधित, खिड़कियां, दरवाजे, बुरी हवा, अचानक धोखा होने का खतरा रहता है.