आजादी की लड़ाई में इंदिरा की मां कमला नेहरू एक कॉलेज के सामने धरना देने के दौरान बेहोश हो गई थीं. उस समय फिरोज गांधी ने उनकी बहुत देखभाल की थी. कमला नेहरू का हालचाल जानने के लिए फिरोज अक्सर उनके घर जाते थे. देश की पहली महिला और तीसरी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने स्वतंत्रता सेनानी और लोकसभा के प्रभावशाली सदस्य रहे फिरोज गांधी से शादी की थी. लेकिन इस शादी में उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. फिरोज गुजरात के पारसी परिवार से ताल्लुक रखते थे
इसी दौरान उनके और इंदिरा गांधी के बीच नजदीकियां बढ़ीं. फिरोज जब इलाहाबाद में रहने लगे उस दौरान वो आनंद भवन जाते रहते थे.
दोनों की बीच की नजकियां प्यार में तब्दील हो गई थी. दोनों ने मन बना लिया था कि वह शादी करेंगे.
वो साल 1942 का था जब इंदिरा और फिरोज ने एक-दूसरे से शादी कर ली. दोनों अपनी इस शादी से काफी खुश थे.
वहीं इंदिरा के पिता जवाहर लाल नेहरू इस शादी के खिलाफ थे.
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आपको बता दें, दोनों ने महात्मा गांधी के हस्तक्षेप के बाद शादी इलाहाबाद में की थी. जिसके फिरोज को बापू ने अपना सरनेम भी दिया. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इंदिरा और फिरोज साथ में जेल भी गए. हालांकि शादी के बाद दोनों के बीच काफी लड़ाइयां हुईं.
1949 में इंदिरा दोनों बच्चों (राजीव और संजय गांधी) के साथ अपने पिता का घर संभालने के लिए फिरोज को छोड़कर चली गईं जबकि संजय लखनऊ में ही रहे. लेकिन उनका तलाक नहीं हुआ था.
यहीं से फिरोज ने नेहरू सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया और कई बड़े घोटालों को उजागर किया. बाद के सालों में फिरोज गांधी की तबीयत खराब होने लगी. उस दौरान उनकी देखभाल के लिए इंदिरा गांधी मौजूद थीं. 8 सितंबर, 1960 को हार्ट अटैक से फिरोज गांधी का निधन हो गया था.
फिरोज से शादी के बाद इंदिरा ने ‘मैमुना बेगम’ नाम अपना लिया था. मां कमला नेहरू और पिता जवाहर लाल नेहरू दोनों को ही ये नाम पसंद नहीं था. बेटी के धर्म परिवर्तन पर पिता के राजनीतिक करियर को भी खतरा था. तब नेहरू ने फिरोज से गुजारिश की वो अपना सरनेम बदलकर गांधी रख लें. ये सिर्फ नाम परिवर्तन था और धर्म से इसका कोई लेना देना नहीं था.