रिसर्च टीम ने इन लोगों के रोमांटिक संबंधों पर पूरे नौ बरस तक नजर रखी। इन लोगों से ये भी कहा गया था कि वो अपने पार्टनर को भी इस रिसर्च का हिस्सा बनने के लिए राजी करें। 9 साल बाद इस रिसर्च में केवल 332 लोग ऐसे बचे थे, जो कम से कम दो रूमानी रिश्तों में जुड़े। इतने बड़े सर्वे में केवल 332 लोगों का एक से ज्यादा रोमांटिक रिलेशनशिप में रहना चौंकाने वाली बात थी। लेकिन, इससे रिसर्च एक नतीजे पर पहुंच सके, इन 332 लोगों ने अपने मौजूदा साथियों की वही खूबियां बताईं, जो उनके पुराने पार्टनर में थीं।
इसका मतलब ये हुआ कि रिसर्च में शामिल लोग भले ही ये मान रहे थे कि अपने साथी को लेकर उनकी अपेक्षाएं बदल गईं। लेकिन, हकीकत ये थी कि वो अपने पार्टनर में कुछ खास गुण तलाश रहे थे और वो गुण उन्हें पहले पार्टनर में भी मिला और दूसरे में भी। तभी वो उनसे जुड़ सके।
क्यों ढूंढते हैं अपने टाइप पार्टनर
अब आप ये बात मानें या न मानें, अगर आप किसी साथी को तलाश रहे हैं, तो हो सकता है कि जिसकी तलाश हो उसमें आप अपने एक्स यानी पुराने पार्टनर जैसे गुण ही खोजते हैं और मिलने पर उसके साथ आसानी से जुड़ जाते हैं। मजे की बात ये है कि जर्मनी में जो रिसर्च हुई, उसमें न केवल साथियों के गुण एक जैसे थे, बल्कि कइयों के तो पार्टनर भी वही थे, यानी पुराने वाले।
अपने रोमांटिक साथी में अपने जैसे गुण तलाशना कोई ग़ैर मामूली बात नहीं है। हम सब अपने आस-पास के ऐसे ही लोगों से जुड़ते हैं, जिनसे हमारे विचार और आदतें मेल खाती हैं। ऐसे रिश्तों में आप को अपने खयालात और आदतें नहीं बदलनी होतीं। हां, कुछ लोग जीवन में नए-नए प्रयोग करने के लिए अलग-अलग साथियों के साथ वक़्त बिताकर उन्हें आजमाते हैं।
रिसर्च से ये भी पता चला कि बहिर्मुखी लोगों के अपने जैसी खूबियों वाले साथी से रूमानी रिश्ते बनाने की संभावना बहुत कम ही होती है। तो, अगर हमारे रिश्ते हमारी सोच के समर्थक लोगों से बनते हैं. पर, अगर हम खुले जहन के हैं, तो हम जीवन में नए तरह के साथी के साथ भी तजुर्बे कर सकेंगे, ताकि दुनिया को देखने का एक नया नजरिया हमें मिले।
फायदा
इस रिसर्च से ऑनलाइन डेटिंग के लिए भी नई उम्मीदें जगी हैं। जैसे संगीत सुनाने वाले ऐप आप की पसंद के हिसाब से गाने सुझाते हैं। वैसे ही, डेटिंग ऐप भी आप को आप के मिजाज के हिसाब से ही ऐसे लोगों से जुड़ने का सुझाव देंगे, जिनका व्यवहार आप से मिलता हो। अब रिसर्च से हमें ये तो पता नहीं चला कि ऐसे रिश्ते कितने समय तक चले। इसलिए, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि कोई रिश्ता कितने दिन तक चलने वाला है।
अपने पार्टनर के साथ बहुत ज्यादा समानता आपके विकास में बाधक बन सकती है. अगर, आप से जुड़ने से पहले आपके पार्टनर का कोई पुराना रिश्ता रहा है, तो वो आप के लिए मुसीबत भी बन सकता है। क्योंकि नए साथी के गुण उसके पुराने पार्टनर से मिलते होंगे, तो आप के लिए ये फिक्र और नाउम्मीदी की बात है।
इसके विपरीत, अगर आपके मौजूदा साथी का मिजाज आपके पुराने पार्टनर से मिलता है, तो उससे मजबूत रिश्ता कायम करना आसान होगा। तो, तलाक के बढ़ते मामलों के लिए इस बात को दोष न दें कि लोगों को ‘उनके टाइप’ का साथी नहीं मिला, इसलिए तलाक हो गया।
वैसे, इस तरह के रिसर्च का ये मतलब नहीं है कि अपने सोलमेट की तलाश आप को खत्म कर देनी चाहिए। जीवनसाथी के चुनाव में बहुत से मुद्दे असर डालते हैं। लेकिन, अगर आप का नया रिलेशनशिप स्टेटस, पहले जैसा ही दिखे, तो ये हैरानी की बात नहीं होगी।