जानिए आखिर क्यों शिव के गले में है नागराज वासुकी

आज नाग पंचमी है. यह एक पवन पर्व है और इस दिन नाग देवता का पूजन किया जाता है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं आखिर भोलेनाथ के गले में आभूषण के स्वरूप में नाग क्यों हैं? आइए जानते हैं.

शिव शंकर के गले में क्यों हैं नागराज वासुकी: कहते हैं वासुकी को नागलोक का राजा माना गया है. वो भगवान शिव के परम भक्त थे. कहा जाता है कि शिवलिंग की पूजा अर्चना करने का प्रचलन भी नाग जाति के लोगों ने ही आरंभ किया था. शिवजी वासुकी की श्रद्धा और भक्ति से बेहद खुश थे. इसी के कारण से उन्होंने वासुकी को अपने गणों में शामिल कर लिया था. पौराणिक कथाओं को माने तो नागों के देवता वासुकी की भक्ति से भगवान शिव बेहद खुश थे. क्योंकि वो हमेशा की शंकर जी की भक्ति में लीन रहते थे. कहा जाता है उस समय प्रसन्न होकर शिवजी ने वासुकी को उनके गले में लिपटे रहने का वरदान दिया था. इसी के कारण नागराज अमर हो गए थे.

नागराज वासुकी की कथा: कहा जाता है समुद्र मंथन के दौरान वासुकी नाग को मेरू पर्वत के चारों ओर रस्सी की तरह लपेटकर मंथन किया गया था. जी दरअसल उस समय एक तरफ उन्हें देवताओं ने पकड़ा था तो एक तरफ दानवों ने. इसी से वासुकी का पूरा शरीर लहूलुहान हो गया था और इससे शिव शंकर बहुत खुश हो गए थे. इसी के साथ जब वासुदेव कंस के डर से भगवान श्री कृष्ण को जेल से गोकुल ले जा रहे थे तब रास्ते में बारिश हुई थी. उस समय भी वासुकी नाग ने ही श्री कृष्ण की रक्षा की थी. ऐसी मान्यता है कि वासुकी के सिर पर ही नागमणि विराजित है.

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