राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा शहर की हवा सेहत के लिए खतरनाक होती जा रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश के सबसे अधिक वायु प्रदूषण वाले 15 शहरों में नोएडा भी शामिल है। इन शहरों की हवा में मौजूद पीएम-10 की मात्रा खतरनाक स्थिति में है। CPCB की रिपोर्ट के मद्देनजर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने शासन को कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया था। इसी के मद्देनजर प्रदेश के मुख्य सचिव अनूप चंद पांडेय ने पूर्व से संचालित विभिन्न अनुश्रवण समितियों को भंग कर जिला पर्यावरणीय समिति का गठन किया है। समिति कार्य योजना तैयार कर वायु व जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम उठाएगी।
प्रदेश के 15 शहरों की हवा सबसे अधिक प्रदूषित है। हरनंदी, यमुना, गोमती व काली समेत 12 नदियों के पानी में प्रदूषण स्तर भी खतरनाक स्थिति में है। प्रदेश के 9 औद्योगिक समूहों को सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने की श्रेणी में चिह्नित किया गया है। प्लास्टिक, जैव चिकित्सा, ई-वेस्ट, निर्माण से निकलने वाले कचरे के प्रबंधन की स्थिति संतोषजनक नहीं है। एनजीटी ने शासन को प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया था। अभी तक जिले में पर्यावरण संरक्षण को लेकर चार समितियां बनी हुई थीं। मुख्य सचिव ने एनजीटी के आदेश के बाद चारों समितियों को भंग कर जिला पर्यावरणीय समिति का गठन किया है। इस समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी होंगे। समिति में 26 सदस्य बनाए गए हैं, जबकि जिला वन अधिकारी को सदस्य संयोजक बनाया गया है। समिति की महीने में दो बार बैठक होगी। पहले डीएम समिति के सदस्यों के साथ करेंगे। इसके बाद मंडालायुक्त बैठक कर रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे। जिला वन अधिकारी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। वन अधिकारी एजेंडा तैयार कर बैठक आयोजित करेंगे।
इन शहरों की हवा सबसे खराब- प्रदेश में सबसे अधिक वायु प्रदूषित वाले शहरों में लखनऊ, कानपुर, आगरा, प्रयागराज, वाराणसी, गाजियाबाद, नोएडा, खुर्जा, फिरोजाबाद, अनपरा, गजरौला, झांसी, मुरादाबाद, रायबरेली व बरेली शामिल है।