जश्न-ए-आजादीः भगत सिंह की शहादत को बॉलीवुड का सलाम, उनकी शहादत बयान...

जश्न-ए-आजादीः भगत सिंह की शहादत को बॉलीवुड का सलाम, उनकी शहादत बयान…

शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने अपने आखिरी समय में लिखा था, “मेरी कलम भी वाकिफ है मेरे जज्बातों से..मैं इश्क भी लिखना चाहूं तो इंकलाब लिखा जाता है।” आज के युवाओं को भगत सिंह के इस देशभक्ती के अंदाज से सीख लेनी चाहिए।जश्न-ए-आजादीः भगत सिंह की शहादत को बॉलीवुड का सलाम, उनकी शहादत बयान...अभी-अभी: हुआ ये बड़ा ऐलान 2019 में नहीं, अब अगले साल होंगे लोकसभा चुनाव…

देश को आजाद कराने में शहीद भगत सिंह ने अपनी जान की भी परवाह नहीं की। हंसते-हंसते उन्होंने मौत को गले लगा लिय़ा। भगत सिंह ऐसे आशिक थे जिनकी आशिकी सिर्फ देश की आजादी के लिए थी।

शहीद भगत सिंह के किरदार को और उनके जीवन की कहानी को बॉलीवुड ने कई बार बड़े पर्दे पर उतारने की कोशिश की है। किसी ने भगत सिंह के क्रांतिकारी जीवन को लोगों तक पहुंचाया तो किसी ने भगत सिंह की love story को दिखाया। आज आजादी के इस जश्न के दिन हम आपको भगत सिंह के जीवन पर बनी फिल्मों के बारे में बताते हैं..

शहीद-ए-आजम भगत सिंह (1954)

सबसे पहले भगत सिंह की कहानी को फिल्म डायरेक्टर जगदीश गौतम ने लोगों तक पहुंचाया। 1952 में बनी फिल्म शहीद-ए-आजम भगत सिंह में भगत सिंह का किरदार प्रेम अबीद ने निभाया। इस फिल्म ने लोगों के सामने भगत सिंह के जीवन को रखा। 

शहीद भगत सिंह (1963)

 

शहीद भगत सिंह भले ही इतनी जानी मानी फिल्म ना हो, लेकिन ये फिल्म भी भगत सिंह के बलिदान की कहानी कहती है। फिल्म को 1963 में केएन बंसल ने बनाया था। 

शहीद (1965)

 

शहीद फिल्म में मनोज कुमार ने भगत सिंह का किरदार निभाया था। फिल्म को एस राम शर्मा ने डायरेक्ट किया था। ये फिल्म 1965 की सुपरहिट फिल्म साबित हुई।

द लीजेंड ऑफ भगत सिंह (2002)

 

‘दी लीजेंड ऑफ भगत सिंह’ 7 जून 2002 में रिलीज हुई थी। फिल्म में लीड रोल अजय देवगन ने निभाया है। फिल्म में गानों को सुखविंदर और सोनू निगम ने आवाज देकर इंकलाब को जीवंत कर दिया।

23 मार्च 1931: शहीद (2002)

 

23 मार्च 1931 शहीद, गुड्डू धानोवा ने बनाई थी। फिल्म भगत सिंह और उनके साथियों की फांसी पर बनी थी। फिल्म में भगत सिंह का किरदार बॉबी देओल ने निभाया था।

शहीद-ए-आजम (2002)

 

इस फिल्म में सोनू सूद ने भी भगत सिंह का किरदार बखूबी निभाया है। फिल्म में भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव की दोस्ती को दिखाया गया है।

रंग दे बसंती (2006)

 

फिल्म ‘रंग दे बसंती’ यूं तो आजाद भारत के 21वीं सदी के कुछ दोस्तों की कहानी है, लेकिन इस फिल्म में  शहीद-ए-आजम भगत सिंह की कहानी भी दिखाई गई थी।

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