जलवायु परिवर्तन से सिकुड़े ग्लेशियर, 40 वर्ष के सेटेलाइट डाटा के अध्ययन पर मिली जानकारी

ग्रीनलैंड पर ग्लेशियर इतने सिकुड़ गए हैं कि अगर आज ग्लोबल वाìमग थम जाए तो भी बर्फ की चादर पिघलती रहेगी। यह जानकारी द्वीप के करीब 40 साल के सेटेलाइट डाटा के अध्ययन के आधार पर दी गई है।नेचर कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि ग्रीनलैंड के ग्लेशियर उस स्थिति में पहुंच गए हैं जहां हर साल बर्फ की चादर को फिर से भरने वाली बर्फबारी भी इनको पिघलने से नहीं रोक सकती।

अध्ययन के प्रमुख लेखक और अमेरिका के ओहियो स्टेट यूनिवíसटी के एक शोधकर्ता मिखालिया किंग ने कहा, ‘हम इन स्थितियों का आकलन कर रहे हैं कि बर्फ कैसे पिघल रही है। अध्ययन में हमने पाया कि पिघल कर जो बर्फ महासागर में जा रही है, वह बर्फ की चादर की सतह पर जमा होने वाली बर्फ से बहुत अधिक है।

शोधकर्ताओं ने इस दौरान ग्रीनलैंड के चारों ओर के 200 से अधिक बड़े ग्लेशियरों के मासिक उपग्रह डाटा का विश्लेषण किया। उनके आकलन से पता चलता है कि हिमखंडों में कितनी बर्फ टूट जाती है या ग्लेशियरों से पिघलकर समुद्र में चली जाती है। वे हर साल बर्फबारी की मात्रा का भी जिक्र करते हैं, जिससे इन ग्लेशियरों पर बर्फ की भरपाई होती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि 1980 से 1990 के बीच ग्लेशियरों से जितनी बर्फ पिघलती थी उससे ज्यादा बर्फ जमा हो जाती थी, जिससे बर्फ की चादर बरकरार रहती थी।

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अवधि के दौरान हर साल करीब 450 गीगाटन बर्फ पिघलती थी, जो बर्फबारी के दौरान जमा भी हो जाती थी। उन्होंने अध्ययन के आधार पर बताया है कि वर्ष 2000 के बाद बर्फ के पिघलने की दर बढ़ती गई और पाया गया कि इसके बाद हर साल करीब 500 गीगाटन बर्फ पिघली। हालांकि, इस दौरान बर्फबारी में बढ़ोतरी नहीं हुई। इसका नतीजा यह हुआ कि पिछले एक दशक में ग्लेशियरों से बर्फ का पिघलना तेज हो गया। इससे बर्फ की चादर सिकुड़ने लगी जो अब भी जारी है।

किंग ने बताया कि ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं और गर्मियों में तो इसकी गति और बढ़ जाती है। वर्ष 2000 के बाद इसमें और तेजी देखी गई। आने वाले समय में इसमें और बढ़ोतरी होगी। हालांकि, इनका यह भी कहना था कि हर 100 वर्षो में एक बार इसमें बदलाव भी देखने को मिलेगा, जिससे बर्फबारी की मात्रा बढ़ेगी और बर्फ की चादर काफी हद तक पहले जैसी हो जाएगी।

 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com