जरूर पढ़ें यूपीएससी परीक्षा में थर्ड रैंक पाने वाले जुनैद का ‘Success Mantra’

शुक्रवार देर शाम घोषित हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) 2019 परीक्षा परिणाम में मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिला के नगीना कस्बे के रहने वाले जुनैद अहमद ने अखिल भारतीय स्तर पर तीसरा स्थान प्राप्त किया है। जुनैद 2018 में भारतीय राजस्व सेवा (आइआरएस) के लिए चयनित हुए थे। जुनैद फरीदाबाद स्थित नेशनल अकादमी ऑफ कस्टम्स,एक्साइज एंड नार्कोटिक्स (नासेन) में प्रशिक्षण ले रहे हैं। यहीं उन्हें UPSC परीक्षा परिणाम में तीसरी रैंक की खुशखबरी मिली।

प्रशासनिक सेवा परीक्षा में तीसरी रैंक आने पर जुनैद कहते हैं – ‘देखिए, ये मेरे जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य था और जब किसी भी व्यक्ति को उसका लक्ष्य प्राप्त होता है तो उसके लिए इससे ज्यादा खुशी का क्षण और कोई हो नहीं सकता। हां, इतना अवश्य है कि शुक्रवार रात से अब तक मैं इस उपलब्धि पर रोमांचित हुआ मगर अब मानता हूं कि आगे बड़ी जिम्मेदारी निभाने की चुनौती रहेगी।’

परीक्षा को लेकर अपनी तैयारी पर वह बताते हैं- ‘मैं 2014 से लगातार इसकी तैयारी कर रहा हूं। पिछले साल मुझे आइआरएस में मौका मिला मगर मैंने अपने लक्ष्य काे प्राप्त करने के लिए अपनी मेहनत जारी रखी।’ वह कहते हैं- ‘चार साल तक मिली असफलताओं ने मुझे मेरे लक्ष्य के काफी करीब लाकर खड़ा कर दिया, क्योंकि मुझे हर बार असफलता से न सिर्फ अपने अंदर सुधार के लिए नई ऊर्जा मिली बल्कि लक्ष्य प्राप्त करने की राह भी दिखाई दी।’

जुनैद का मानना है कि यह अपनी सोच पर निर्भर है। मेरे पिता बिजनौर जिला के नगीना कस्बे में वकालत करते हैं, मां मेरी गृहणी हैं। दो बहनों और मैं स्वयं एक मध्य वर्गीय परिवार से ही संबंधित हैं। हमें आम आदमी से मिलकर उनके दुख में दुखी होना और उनके सुख में सुखद अनुभूति प्राप्त होती है। ऐसे में मेरी सोच भी यही बनी कि जहां सेवा देने से ज्यादा लोगों का भला हो सके, जीवन में उसी लक्ष्य को चुनना चाहिए।

आइएएस की परीक्षा में कंठस्थ याद करने से ज्यादा अहम है या चीजों का विश्लेषण करना? के सवाल पर जुनैद बताते हैं- ‘ मुझे तो दोनों ही अहम लगे। वैसे ज्यादा अहम विश्लेषण है मगर विश्लेषण को बताने के लिए भी स्मरण शक्ति भी जरूरी है। इसलिए मैं चीजों को रटने से ज्यादा उन्हें समझकर अपने दिलो-दिमाग में उतारने में विश्वास रखता हूं।’

कुछ आइएएस अधिकारियों के बारे माना जाता है कि वे मिलते नहीं हैं, वे आम लोगों से दूरी बनाए रखते हैं, आप किस तरह से रहना पसंद करेंगे? इसके जवाब में वह कहते हैं- ‘देखिए, मैं आपको बता दूं, मेरे हिसाब से ये छवि व्यक्तिगत होती है मगर अब चीजें बदल रही हैं। इस बार यूपीएससी ने व्यवहार कुशलता (एथिक्स) का अलग से विषय रखा। इसमें परीक्षार्थियों से आम जनता से उनके व्यवहार, समन्वय के बारे में भी पूछा गया था। मैं तो अपने कार्यालय के दरवाजे सभी के लिए हमेशा खुले रखूंगा। जनता के बीच रहना, उनका दुख-दर्द दूर करना मुझे अच्छा लगता है।’

देश के मौजूदा हालात पर जुनैद का मानना है कि हमारे देश में 60-70 फीसद जनता ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। वहां शिक्षा, रोजगार,स्वास्थ्य जैसे अहम मसले हैं, जो बढ़ती आबादी के साथ और बढ़ रहे हैं। इनमें सुधार की जरूरत है। सरकार और प्रशासन के स्तर पर पारदर्शिता बढ़ाकर हम इन मुद्दों को खत्म कर सकते हैं।

वह बताते हैं- ‘हमारे देश के युवा और उनकी ऊर्जा सबसे बड़ी ताकत है। युवा की ऊर्जा को पहचानकर उसे सही काम पर लगाने का दायित्व शासन-प्रशासन का है।’

राष्ट्रवाद भी क्या देश में एक मुद्दा है? सवाल के जवाब में जुनैद बड़ी साफगोई से कहते हैं- ‘हां, क्यों नहीं। राष्ट्रवाद भी एक सेवा है मगर फर्क सिर्फ इसे समझने के नजरिये का है। मैं राष्ट्रवाद को राष्ट्र निर्माण के रूप में देखता हूं। एक अच्छा सेवक भी तभी बन सकता है जब वह राष्ट्र निर्माण की बाबत सोचे।’

अपनी देश सेवा की भावना पर उनका कहना है -‘ मैं उत्तर प्रदेश में बड़ा और पला हूं। यह आबादी की दृष्टि से सबसे बड़ा प्रदेश है तथा यहां काम करने के अवसर भी और जगहों से ज्यादा हैं। ऐसे में यूपीएससी में मैंने अपनी पहली पसंद के रूप में भी उत्तर प्रदेश ही भरा था।’

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