विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आज चीन के साथ हमारे रिश्ते सामान्य नहीं हैं क्योंकि सीमावर्ती इलाकों में शांति भंग हो गई है। इसलिए वह (प्रधानमंत्री) उम्मीद जता रहे थे कि चीनी पक्ष को यह अहसास होना चाहिए कि मौजूदा स्थिति उसके भी हित में नहीं है। भारत तथा चीन के बीच शांतिपूर्ण संबंध पूरे क्षेत्र और दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं।
पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के पांचवें वर्ष में प्रवेश करने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत चीन के साथ शेष मुद्दों के समाधान की उम्मीद करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सामान्य द्विपक्षीय संबंधों की वापसी सीमा पर शांति पर निर्भर करती है। जयशंकर ने एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि बाकी मुद्दे मुख्य रूप से ‘गश्त करने के अधिकार’ और ‘गश्त करने की क्षमता’ से संबंधित हैं।
यह पूछे जाने पर कि न्यूजवीक पत्रिका को पिछले माह दिए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में विवाद के समाधान की उम्मीद कब तक की जा सकती है, जयशंकर ने कहा कि उन्होंने (मोदी ने) इस मामले पर केवल एक व्यापक दृष्टिकोण साझा किया है। हमें उम्मीद है कि बचे हुए मुद्दों का समाधान हो जाएगा। उन्होंने कहा, मैं इसे प्रधानमंत्री के साक्षात्कार से नहीं जोड़ूंगा।
‘हर देश अपने पड़ोसी के साथ अच्छे संबंध चाहता है’
मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री एक व्यापक दृष्टिकोण पेश कर रहे थे। उनका यह दृष्टिकोण बहुत ही उचित था, क्योंकि आखिरकार हर देश अपने पड़ोसी के साथ अच्छे संबंध चाहता है। लेकिन आज चीन के साथ हमारे रिश्ते सामान्य नहीं हैं, क्योंकि सीमावर्ती इलाकों में शांति भंग हो गई है। इसलिए वह (प्रधानमंत्री) उम्मीद जता रहे थे कि चीनी पक्ष को यह अहसास होना चाहिए कि मौजूदा स्थिति उसके भी हित में नहीं है। न्यूजवीक को दिए साक्षात्कार में मोदी ने कहा था कि सीमा की स्थिति का तत्काल समाधान किए जाने की जरूरत है। भारत तथा चीन के बीच स्थिर एवं शांतिपूर्ण संबंध न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र और दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं। बताते चलें, भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच मई 2020 से गतिरोध चल रहा है और अभी तक सीमा विवाद का पूर्ण समाधान नहीं हो पाया है।
भारत-चीन व्यापार में बढ़ोतरी हुई
हालांकि, दोनों पक्ष टकराव के कई स्थानों से पीछे हटे हैं। भारत लगातार यह कहता रहा है कि संबंधों को सामान्य बनाने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति महत्वपूर्ण है। जयशंकर ने कहा कि भारत के घरेलू विनिर्माण और समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने से आर्थिक मोर्चे पर चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने और वैश्विक स्तर पर देश के प्रभाव का विस्तार करने के मद्देनजर विदेश नीति और अधिक मजबूत होगी। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत पिछले 10 वर्षों में घरेलू विनिर्माण को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, क्योंकि 2014 से पहले इस क्षेत्र की उपेक्षा की गई थी और इसने देश के लिए कई समस्याएं पैदा कीं। उन्होंने यह भी कहा कि अतीत में विनिर्माण क्षेत्र पर ध्यान नहीं दिए जाने की वजह से भारत-चीन व्यापार में बढ़ोतरी हुई।
‘हमें खुद पर भरोसा करने की जरूरत’
विदेश मंत्री ने कहा, हमें खुद पर भरोसा करने की जरूरत है। मेरा रुख स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में प्रतिस्पर्धा है। हमारा चीन जैसा पड़ोसी है और हमें प्रतिस्पर्धा करना सीखना होगा। जयशंकर से पूछा गया था कि चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार क्यों बढ़ रहा है, जबकि नई दिल्ली इस बात पर जोर दे रही है कि सीमा पर स्थिति असामान्य होने पर संबंध सामान्य नहीं हो सकते।
‘पहले विनिर्माण क्षेत्र पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया’
जयशंकर ने दावा किया कि ऐसा परिदृश्य इसलिए उत्पन्न हुआ है, क्योंकि 2014 से पहले विनिर्माण क्षेत्र पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया था। विदेश मंत्री ने कहा कि पश्चिम एशिया की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आइएमईसी) के क्रियान्वयन में देरी चिंता का विषय है और पिछले साल सितंबर में यह पहल शुरू होने के बाद से पैदा हुई उम्मीद पर आगे बढ़ना होगा।
जयशंकर ने कहा कि आइएमईसी के सभी पक्षकार जहाज से लेकर रेल पारगमन नेटवर्क के लिए प्रतिबद्ध हैं, क्योंकि वे इसे बड़ी पहल मानते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या पश्चिम एशिया में जारी संकट से इस परियोजना में कुछ वर्षों की देरी हो सकती है, उन्होंने कहा-यह निश्चित तौर पर हमारे लिए चिंता का विषय है। सितंबर में जब समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, तो उस समय जिस तरह की उम्मीद थी, उस पर अब आगे बढ़ना होगा।