से अनुच्छेद 370 का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद भले ही राज्य के तमाम इलाकों में जिंदगी पटरी पर लौटने लगी हो, लेकिन घाटी के तमाम जिलों में अब भी सुरक्षा के लिहाज से तमाम प्रतिबंध जारी हैं।
जवानों की भारी तैनाती के बीच कश्मीर घाटी में इंटरनेट और टेलिकॉम सर्विसेज पर लगी रोक के कारण आम के साथ-साथ सुरक्षाकर्मी भी कई दिनों से अपनों से संपर्क में नहीं हैं। घाटी के सभी जिलों में अब भी टेलिकॉम सर्विसेज पर पाबंदियां बरकरार हैं और आम लोगों के लिए लैंडलाइन सेवाओं की शुरुआत की गई है।
लेकिन इन आंशिक रियायतों के बीच वह जवान भी बीते 20 दिनों से आम लोगों की तरह अपनों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं, जिन्हें देश के अलग-अलग राज्यों से यहां पर तैनात किया गया है। अपनों से संपर्क ना हो पाने की स्थिति में कई बार जवान या कश्मीर के आम लोग यहां रिपोर्टिंग करने पहुंचे मीडिया के लोगों से यह कहते दिखाई देते हैं कि अगर उनका मोबाइल फोन कश्मीर में चल रहा हो तो वह उनकी बात उनके परिवार के लोगों से करा दें।
रविवार को भी श्रीनगर के प्रसिद्ध लाल चौक पर ऐसी ही एक तस्वीर देखने को मिली, जब चेन्नै के निवासी एक जवान गौतम (बदला हुआ नाम) ने सुरक्षा ड्यूटी के दौरान श्रीनगर के लाल चौक पर खड़े मीडिया के लोगों से कहा कि एक बार वह टीवी पर उनका एक मेसेज टेलिकास्ट करा दें, जिससे कि उनके परिवार को यह तसल्ली हो जाए कि वह ठीक हैं।
जब उन्हें तत्काल कश्मीर में तैनाती के लिए भेजा गया तो उस वक्त उनकी 6 साल की बच्ची बहुत बीमार थी। उस वक्त ड्यूटी की जिम्मेदारियों के कारण वह कश्मीर चले आए लेकिन तब से परिवार का कोई हाल चाल नहीं मिल सका है। वहीं गौतम के ही एक साथी ने इन हालातों के बीच एक अन्य जवान ने आरोप लगाते हुए कहा कि जब वह श्रीनगर के एक पुलिस थाने में लगी लैंडलाइन से अपने घर बात करने के लिए यहां पहुंचे तो अधिकारियों ने उन्हें फोन करने से मना करते हुए कहा कि यह सेवा सिर्फ आम लोगों के लिए है।
आईजी ने कहा- निजी रूप से लेंगे जानकारी
इस वाकये पर जब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के आईजी रविदीप साही से की टीम ने सवाल पूछे तो आईजी ने कहा कि हर कंपनी के कमांडेट को एक हैंडसेट दिया गया है, जिससे कि उनकी टीम के अधिकारी अपने घरों पर बात कर सकें, लेकिन फिर भी अगर ऐसा कोई वाकया सच में हुआ है तो वह निजी रूप से इसकी पड़ताल कराएंगे।
कश्मीर घाटी में जुलाई महीने के अंत से ही इंटरनेट और टेलिकॉम सेवाओं पर रोक लगी हुई है। पूर्व में अधिकारियों ने लैंडलाइन सेवाओं को शुरू कराकर हालातों के सामान्य होने का दावा किया था, लेकिन पूर्ण रूप से टेलिकॉम सर्विसेज बहाल ना होने के कारण अब भी घाटी के तमाम हिस्सों में लोग अपने परिवारों से सुचारू रूप से बात नहीं कर पा रहे हैं।