सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आए फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष में अयोध्या में जमीन लेने या न लेने पर बहस शुरू हो गई है. एक पक्ष मस्जिद के लिए जमीन लेने के पक्ष में है तो दूसरा पक्ष इसका विरोधी है. 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया था. जिसके बाद इस पर मंथन होने लगा है कि जमीन ली जाए या नहीं. साथ ही इस पर भी विचार किया जा रहा है कि जमीन स्वीकार करने की सूरत में उसकी जगह का कैसे निर्धारण होगा ?

26 नवंबर को बोर्ड की होनेवाली मीटिंग के बाद ही उसका कोई ठोस फैसला सामने आ सकता है. हालांकि बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी भी जमीन लेने के पक्ष में हैं. उनका कहना है कि जमीन स्वीकार न करने की सूरत में नकारात्मक संदेश जाएगा. वहीं, मुस्लिम एत्तेहादुल मुस्लैमीन के अध्यक्ष असददुद्दीन ओवैसी पहले ही जमीन न लेने की अपनी मंशा जाहिर कर चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने मुस्लिमों को खैरात में जमीन न लेने की बात कही थी.
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