रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल युद्धक विमान सौदे पर कहा है कि इस रक्षा सौदे के साझीदारों के नाम तभी सामने लाए जाएंगे जब विमान मिलने शुरू हो जाएंगे।
उन्होंने गुरुवार को कहा कि राफेल की आपूर्ति में फ्रांस की कंपनी दासौ और दो या तीन अन्य कंपनियां भी हिस्सेदारी कर रही हैं। इन सबको अलग-अलग लक्ष्य दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों के नाम तभी सामने लाए जाएंगे जब युद्धक विमान देश को मिलने शुरू हो जाएंगे। यह पूछे जाने पर कि अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को किस आधार पर दासौ एविएशन का ऑफसेट साझीदार बनाया गया है।
इसके जवाब में सीतारमण ने कहा कि आपूर्ति में शामिल सभी कंपनियों को ऑफसेट पूरा करने का मौका दिया जाएगा। दो या तीन जितनी भी कंपनियां होंगी, उन्हें या तो निवेश का मौका मिलेगा या फिर सेवा की खरीद करनी होगी। यह मामला दासौ पर छोड़ दिया जाएगा कि वह हमारे पास आकर इस विषय में दावा करे। ऑफसेट पार्टनर का ब्योरा तभी दिया जाएगा जब वह बिल के साथ अपनी सेवा के लिए हमारे पास आएंगे। फिर चाहे उन्होंने उपकरण दिए हों या कि कोई सेवा प्रदान की हो।
इसके अलावा, सीतारमण ने कहा कि देश के सुरक्षा प्रतिष्ठानों के कामकाज के तरीके में हालिया बदलाव से रक्षा मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में कोई कमी नहीं आई है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) सुरक्षा संबंधी मामलों में अंतर मंत्रिमंडलीय समायोजन में बेहद अहम भूमिका निभाता है।
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