जब लगे सांस फूलने और बढ़ जाए दिल की धड़कन, तो बस इस तरह करे कंट्रोल

जब लगे सांस फूलने और बढ़ जाए दिल की धड़कन, तो बस इस तरह करे कंट्रोल

सांस लेने में होने वाली परेशानी को अस्थमा या दमा कहते हैं. सांस लेने वाली नलियों में सूजन हो जाती है या रुकावट आ जाती है. आम लक्षणों में घरघराहट, खांसी, सीने में जकड़न और सांस लेने में समस्या आदि शामिल हैं. अस्थमा दो तरह का होता है. बाहरी और आंतरिक अस्थमा. बाहरी अस्थमा एलर्जी से होती है, जो कि पराग, खुशबू, जानवर, धूल, मसाले या अन्य किसी कारण से हो सकती है. आंतरिक अस्थमा में कुछ केमिकल तत्व शरीर में आने से यह बीमारी होती है. सिगरेट का धुआं, रंग-रोगन से यह हो सकता है. इसके अलावा सीने में संक्रमण, तनाव या लगातार खांसी से भी दमा हो सकता है. आनुवांशिकता के कारण भी अस्थमा होता है. अब तो बच्चे भी इस रोग के तेजी से शिकार हो रहे हैं.जब लगे सांस फूलने और बढ़ जाए दिल की धड़कन, तो बस इस तरह करे कंट्रोल

दमा होने पर सांस लेने में कठिनाई होती है. सीने में जकड़न महसूस होती है. सांस लेने में घरघराहट की आवाज होती है. सांस तेज लेते हुए पसीना आने लगता है. बेचैनी महसूस होती है. जरा सी मेहनत से ही सांस फूलने लगता है. लगातार खांसी आने लगती है. अस्थमा लंबे समय चलने वाली बीमारी है. विशेषज्ञों का कहना है कि इंहेलेशन थेरेपी अस्थमा के उपचार का सबसे कारकर और प्रभावी तरीका है.

गाजियाबाद के वरिष्ठ एलर्जी विशेषज्ञ डॉ. बीपी त्यागी बताते हैं कि इंहेल्ड कोरटिकोस्टेरॉयड थेरेपी अस्थमा को काबू करने का सबसे अच्छा तरीका है. इस विधि से दवा की बहुत कम डोज सीधे सांस की नलियों में पहुंचती है. 

डॉ. त्यागी बताते हैं कि लगातार निर्माण कार्यों, सड़क पर बढ़ते वाहनों की संख्या और वातावरण में बढ़ते प्रदूषण के कारण भी दमा के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि इस बीमारी को पूरी तरह खत्म तो नहीं किया जा सकता, मगर कुछ सावधानियां, उपाय तथा उपचार करके इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है.

अस्थमा होने पर इन बातों का रखें ख्याल-

  • नियमित योग करें. श्वासन, प्राणायाम करके फेंफड़ों की शक्ति को बढ़ाया जा सकता है.
  • दूध और दूध से बने पदार्थों का सेवन कम करें. दूध में दमा बढ़ाने के कारक ज्यादा होते हैं.
  • दूध, घी, मक्खन, तेल, खटाई और तेज मसालों का सेवन नहीं करना चाहिए. छाछ या सूप ले सकते हैं.
  • धूल-मिट्टी से खुद को बचाकर रखें. घर-ऑफिस को हमेशा साफ रखें. धूल से एलर्जी की संभावना अधिक होती है.
  • कोशिश करें कि खुद को तनाव से दूर रखें. तनाव से सांस फूलने लगाता है.
  • मुंह से सांस ना लें, मुंह से सांस लेने पर सर्दी शरीर के अंदर चली जाती है और बीमारी बढ़ जाती है.
  • सर्दी से खुद को बचाकर रखें. सर्दी का मौसम दमा रोगियों के लिए खतरे की घंटी होता है.
  • घर से बाहर निकलते समय मुंह पर मॉस्क लगाकर चलें. मॉस्क ना हो तो कपड़े से मुंह ढंक कर रखें.
  • तेज-तेज ना चलें. काम में हड़बड़ी ना दिखाएं. हमेशा धैर्य से काम लें. 
  • तेज बोलने से भी परहेज करें. घर में घूपबत्ती या अगरबत्ती ना जलाएं. 
  • घर ऐसा होना चाहिए जहां धूप और हवा का आना-जाना हो, सीलन भरे घर में बीमारी बढ़ जाती है.
  • पालतू पशुओं के संपर्क में आने से बचें. पशुओं से एलर्जी होने की संभावना होती है.
  • खुद डॉक्टर ना बनें. सांस फूलने पर डॉक्टर की सलाह लें.
  • इत्र आदि का इस्तेमाल ना करें. ज्यादा खुशबू वाले पदार्थों का इस्तेमाल ना करें.
  • दवा को बीच में ना छोड़ें. दमा के लिए लगातार दवा लेते रहने की जरूरत होती है.
  • इनहेलर सदैव साथ रखें और सार्वजनिक रूप से इसका इस्तेमाल करने में शर्म महसूस न करने के लिए प्रोत्साहित करें.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com