कंबंपति नचिकेता का जिन्हें 1999 के करगिल युद्ध के बाद 8 दिन तक पाकिस्तानी फौज की हिरासत में रखा गया था। नचिकेता से पहले 1971 की जंग में एयर कमोडोर जे एल भार्गव और उनसे भी पहले एयर मार्शल के सी करियप्पा 1965 के युद्ध में पाक सेना की हिरासत में कैद रह चुके थे। भार्गव ने कहा है कि उनसे जबरन कलमा पढ़ने के लिए कहा गया था और जब वे नहीं पढ़ पाए तो उन्हें जेल में डाल दिया गया। विंग कमांडर अभिनंदन शुक्रवार को स्वदेश लौटने वाले हैं और तीनों शूरवीर इस अवसर पर पाकिस्तान की कैद में गुजारे गए अपने बीते दिनों को स्मरण कर रहे हैं। 
साल 2017 में इंडियन एयर फ़ोर्स से रिटायर हो चुके नचिकेता अब एक कमर्शियल पायलट हैं। कारगिल जंग के दौरान फ्लाइट लेफ्टिनेंट रहे नचिकेता मिग-27 में सवार थे। वह विमान क्रैश होकर पाक अधिकृत कश्मीर में जा गिरा था। नचिकेता पाकिस्तानी फौज पर हवा से गोलीबारी कर रहे थे, इसलिए जवानों ने जैसे ही उन्हें पकड़ा, उन्हें मारना आरम्भ कर दिया। नचिकेता का कहना है कि उन्हें मार देने का प्रयास भी किया गया था। लेकिन एक सीनियर पाकिस्तानी ऑफिसर ने उनकी जान बचाई। उन्होंने जवानों को समझाया और हालात को संभाला। नचिकेता का कहना है कि उन्हें बहुत प्रताड़ित किया गया लेकिन सेना में उनकी ट्रेनिंग इतनी सशक्त हुई थी कि उन्होंने कुछ भी नहीं बताया।
वहीं एयर कमोडोर जे एल भार्गव कुछ दिन या महीने नहीं बल्कि पूरे एक वर्ष पाकिस्तान की जेल में कैद रहे थे। 1971 के युद्ध में गिरफ्तार किए गए फ्लाइट लेफ्टिनेंट भार्गव का कहना है कि अगर पाकिस्तान के स्थानीय लोगों ने विंग कमांडर अभिनंदन का फोटो सोशल मीडिया पर साझा नहीं किया होता तो यह साबित करना नामुमकिन हो जाता कि वे पाकिस्तान में गिरते समय जीवित थे। भार्गव याद करते हुए कहते हैं कि, ‘वे सोने नहीं देते थे, रात-दिन जानकारी मांगते रहते थे। हर सवाल पर ना कहना बेहद कठिन होता था। मुझे याद है जब वे मुझसे मेरी स्क्वॉड्रन के पायलट्स के बारे में सवाल करते थे तो मैं अपने भाई-बहनों के नाम बताता था। जब उन्होंने मुझसे सवाल किया कि मेरी स्क्वॉड्रन का सबसे बेस्ट पायलट कौन है, तो मैंने जवाब दिया कि वह आपके सामने बैठा है।’
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