जपें यह मंत्र ,घर की दिशाओं के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए

वास्तु विज्ञान के बताये अनुसार, प्रत्येक दिशा के अलग-अलग स्वामी ग्रह और देवता होते हैं, इस प्रकार से वास्तु दोष को दूर करने के लिए दिशा में वास्तु दोष होने पर दिशा से संबंधित ग्रह और देवता के मंत्रों का जप करें.

ईशान दिशा के वास्तु दोष दूर करें :

ईशान दिशा यानी उत्तर पूर्व के स्वामी बृहस्पति हैं, और देवता हैं भगवान शिव. इस दिशा के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए नियमित रूप से गुरू मंत्र ‘ओम बृं बृहस्पतये नमः’ मंत्र का जप करें, साथ ही शिव पंचाक्षरी मंत्र ओम नमः शिवाय का 108 बार जप करने से लाभ प्राप्त होगा.

पूर्व दिशा के वास्तु उपचार :

घर का पूर्व दिशा का वास्तु दोष से पीड़ित होने पर इसे दोष मुक्त करने के लिए प्रतिदिन सूर्य मंत्र ‘ओम ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः’ का जप करें, इस दिशा के स्वामी सूर्य देवता हैं. इस मंत्र के जाप से सूर्य के शुभ प्रभावों में वृध्दि होती है. जिससे व्यक्ति मान-सम्मान के साथ ही यश की प्राप्ति करता है. इन्द्र पूर्व दिशा के देवता हैं. प्रतिदिन 108 बार इंद्र मंत्र ‘ओम इन्द्राय नमः’ का जप करना भी इस दिशा के दोष को दूर कर देता है.

आग्नेय दिशा के उपचार :

आग्नेय दिशा के स्वामी ग्रह शुक्र और देवता अग्नि हैं, इस दिशा में वास्तु दोष होने पर शुक्र अथवा अग्नि के मंत्र का जप लाभदायक होगा. शुक्र का मंत्र है ‘ओम शुं शुक्राय नमः’. अग्नि का मंत्र है ‘ओम अग्नेय नमः’. इस दिशा को दोष से मुक्त रखने के लिए इस दिशा में पानी का टैंक, नल, शौचालय अथवा अध्ययन कक्ष नहीं होना चाहिए.

दक्षिण दिशा के मंत्र और देवता :

दक्षिण दिशा के स्वामी ग्रह मंगल और देवता यम हैं, दक्षिण दिशा में वास्तु दोष से मुक्त होने के लिए नियमित ‘ओम अं अंगारकाय नमः’ मंत्र का 108 बार जप करना लाभप्रद होगा. इस मंत्र के जप से मंगल के कुप्रभाव से बचा जा सकता है. ‘ओम यमाय नमः’ मंत्र से भी इस दिशा का दोष समाप्त हो जाता है.

नैऋत्य दिशा को शुभ बनाने के मंत्र :

नैऋत्य दिशा के स्वामी राहु ग्रह हैं, घर में यह दिशा दोषपूर्ण हो और कुण्डली में राहु अशुभ बैठा हो तो राहु की दशा व्यक्ति के लिए काफी कष्टदायी हो जाती है. इस दोष से मुक्ति के लिए राहु मंत्र ‘ओम रां राहवे नमः’ मंत्र का जप करें. इससे वास्तु दोष एवं राहु का उपचार भी हो जाता है.

शनि के मंत्रों से इस दिशा को बनाएं शुभ :

पश्चिम शनि की दिशा है. इस दिशा के देवता वरूण देव हैं, इस दिशा में किचन कभी भी नहीं बनवाना चाहिए. इस दिशा में वास्तु दोष होने पर शनि मंत्र ‘ओम शं शनैश्चराय नमः’ का नियमित जप करें, इस मंत्र के जप से शनि के कुप्रभाव से दूर रहा जा सकता है.

वायव्य दिशा को शुभ बनाने के लिए मंत्र :

चन्द्रा इस दिशा के स्वामी ग्रह हैं, इस दिशा दोषपूर्ण होने पर मन चंचल रहता है. और साथ ही साथ घर में रहने वाले लोग सर्दी जुकाम एवं छाती से संबंधित रोग से परेशान होते हैं. इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए चन्द्र मंत्र ‘ओम चन्द्रमसे नमः’ का जप लाभकारी सिध्द होता है.

कुबेर की दिशा को बनाएं शुभ :

उत्तर दिशा के देवता धन के स्वामी कुबेर हैं, यह दिशा बुध ग्रह के प्रभाव में आता है. इस दिशा के दूषित होने पर माता एवं घर में रहने वाले स्त्रियों को कष्ट होता है. आर्थिक कठिनाईयों का भी सामना करना होता है. इस दिशा को वास्तु दोष से मुक्त करने के लिए ‘ओम बुधाय नमः या ‘ओम कुबेराय नमः’ मंत्र का जप करें. आर्थिक समस्याओं में कुबेर मंत्र का जप अधिक लाभकारी होता है.

 

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