वैदिक पंचांग के अनुसार, शनिवार 25 अक्टूबर को नहाय खाय है। इसके अगले दिन यानी 26 अक्टूबर को खरना है। वहीं, 27 अक्टूबर को संध्या अर्ध्य और 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत नहाय खाय के दिन से होती है। इस दिन व्रती स्नान-ध्यान कर विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा करती हैं। इसके बाद सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। भोजन में चावल, दाल और लौकी की सब्जी ग्रहण करती हैं।
ज्योतिषियों की मानें तो नहाय खाय के दिन दुर्लभ शोभन और रवि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इन संयोग में सूर्य देव की पूजा और साधना करने से व्रती को कई गुना फल मिलेगा। आइए, शुभ मुहूर्त, पंचांग और योग जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 अक्टूबर को सुबह 03 बजकर 48 मिनट तक है। इसके पश्चात, पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी। छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय मनाया जाता है।
रवि और शोभन योग
ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर शोभन और रवि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। रवि योग का संयोग सुबह से है। वहीं, शोभन योग का संयोग पूर्ण रात्रि तक है। इन दोनों योग में स्नान-ध्यान कर पूजा करने से व्रती को मनोवांछित फल मिलेगा।
करण योग
नहाय खाय के दिन दोपहर 02 बजकर 34 मिनट तक वणिज करण हैं। ज्योतिष वणिज करण को शुभ मानते हैं। इस करण में शुभ कार्य किये जाते हैं। साथ ही वणिज करण में आराध्य देव की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
भद्रावास योग
नहाय खाय के दिन भद्रावास योग का संयोग बन रहा है। भद्रावास योग का संयोग दोपहर 02 बजकर 34 मिनट से लेकर पूर्ण रात्रि तक है। ज्योतिषियों की मानें तो भद्रावास योग में मानव जीवन का कल्याण होता है। इस दौरान भद्रा स्वर्ग लोक में निवास करेंगी।
पंचांग
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 28 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 42 मिनट पर
चन्द्रोदय- सुबह 09 बजकर 50 मिनट पर
चन्द्रास्त- रात 07 बजकर 58 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 46 मिनट से 05 बजकर 37 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से 02 बजकर 42 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 42 मिनट से 06 बजकर 07 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
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