चेत्र नवरात्रि की अष्टमी पर देवी मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़, कई जगह हुआ कन्या भोज

चेत्र नवरात्रि की अष्टमी पर देवी मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए भक्तों का आना देर रात्रि से ही शुरू हो गया शनिवार को भक्तों ने दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की आराधना की। नवरात्रि के पहले दिन और अष्टमी का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने घर व देवी मंदिरों पर हवन-पूजन कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर शनिवार को देवी भक्तों ने विधि विधान से माता रानी की पूजा अर्चना की। इस दौरान माता मंदिरों में भजन कीर्तन की धूम रही। माता की पूजा अर्चना करने के लिए देवी भक्तों का मंदिरों में तांता लगा रहा। सबसे ज्यादा भक्तों की भीड़ शीतला माता मंदिर पर रही जहां देर रात से ही भक्त आना शुरू हो गए। सुबह तक हजारों की संख्या में भक्तों ने मां शीतल के दर्शन कर पूजा अर्चना की। वंही मांढरे वाली माता, नहर वाली माता, करौली, वैष्णो देवी सहित शहर के सभी माता मंदिरों पर भक्तों ने पूजा अर्चना की। साथ ही अष्टमी का पूजन करने वाले परिवारों ने कन्याओं का पूजन कर खुशहाली की कामना की और व्रत खोला। रविवार को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। इसके साथ ही नवरात्रि का समापन होगा। मां सिद्धिदात्री महालक्ष्मी के समान कमल पर विराजमान हैं। मां के चार हाथ हैं। मां ने हाथों में शंख, गदा, कमल का फूल और च्रक धारण किया हुआ है। इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है

कन्या पूजन का महत्व

कन्याओं का सम्मान और पूजन से देवी मां बहुत प्रसन्न होती हैं और मनोकामनाएं पूरी करती हैं। देवी पुराण में कहा गया है कि मां को जितनी प्रसन्नता कन्या भोज से मिलती है,उनको उतनी प्रसन्नता हवन और दान से भी नहीं मिलती। धार्मिक मान्यता के अनुसार,दो से दस वर्ष की 9 कन्याओं का पूजन करना शुभ माना गया है। एक कन्या की पूजा करने से ऐश्वर्य,दो कन्याओं से भोग व मोक्ष दोनों,तीन कन्याओं के पूजन से धर्म,अर्थ व काम तथा चार कन्याओं के पूजन से राजपद मिलता है। पांच कन्याओं की पूजा करने से विद्या,छह कन्याओं की पूजा से छह प्रकार की सिद्धियां,सात कन्याओं से सौभाग्य,आठ कन्याओं के पूजन से सुख-संपदा प्राप्त होती है। नौ कन्याओं की पूजा करने करने से संसार में आपकी यश-कीर्ति बढ़ती है।

अष्टमी-नवमी तिथि

अष्टमी तिथि 09 अप्रैल शनिवार के दिन पड़ रही है. इसे दुर्गा अष्टमी भी कहते हैं। अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 05 मिनट से होगा। और इसका समापन 9 अप्रैल की देर रात 1 बजकर 23 मिनट पर होगा। दिन का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है। इस शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन किया जा सकता है। कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं। नवमी तिथि 10 अप्रैल की मध्य रात्रि 1बजकर 23 मिनट से प्रारम्भ होकर 11 अप्रैल की रात्रि और 12 अप्रैल की सुबह 3 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी. इस दिन रवि पुष्य योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन है। इसलिए इस दिन सुबह से ही कन्या पूजन कर सकते हैं।

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