चुनाव आयोग (Election Commission) ने गुरुवार को कहा कि उसने स्थानीय प्रवासी मतदाताओं के लिए रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Remote Electronic Voting Machine) का प्रोटोटाइप विकसित किया है। राजनैतिक दलों को 16 जनवरी को इसके प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया है। रिमोट वोटिंग मशीन को लेकर एक नोट भी जारी किया गया है। राजनैतिक दलों से इसे कानूनी, प्रशासनिक और तकनीकी तौर पर क्रियान्वित करने पर अपने विचार प्रकट करने के लिए भी कहा गया है।
लोकतंत्र में बढ़ेगी भागीदारी
सार्वजनिक क्षेत्र की एक कंपनी द्वारा निर्मित मल्टी कांस्टीट्यूएंसी रिमोट ईवीएम एक ही जगह से 72 चुनाव क्षेत्रों को संचालित कर सकती है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि चुनाव के प्रति युवाओं और शहरी क्षत्रों में रहने वाले लोगों में देखी गई उदासीनता के मद्देनजर रिमोट वोटिंग मशीन लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी बढ़ाने में कारगर पहल साबित होगी।
चुनाव सुधारों में मील का पत्थर साबित हुई ईवीएम
गौरतलब है कि मतपत्रों के जरिए वोटिंग की जटिल और थका देने वाली प्रक्रिया से निजाद दिलाने के लिए 1977 में चुनाव आयोग ने हैदराबद स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) को मतदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। संस्थान ने भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड, बेंगलुरु की मदद के साथ 1979 में इसका प्रोटोटाइप विकसित किया और चुनाव आयोग ने 1980 में इसे राजनैतिक दलों के सामने पेश किया।
1982 में पहली बार हुआ प्रयोग
चुनावों में इसके प्रयोग की करें तो इसका ईवीएम का पहला प्रयोग 1982 में केरल में आम चुनावों में किया गया था। 1998 में पहली बार इसका प्रयोग मध्य प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में सीमित संख्या में किया गया था। 2001 के बाद सभी विभानसभा चुनावों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके साथ ही 2004 में हुए लोकसभा चुनावों में 543 संसदीय क्षेत्रों में मतदान के लिए इसका इस्तेमाल किया गया था। ईवीएम के आने के बाद से मतदान करने और वोटों की गिनती की प्रक्रिया आसान हुई है। हालिया दिनों में चुनावों के प्रति युवाओं और शहरी लोगों के घटते रुझान की वजह से लंबे समय से रिमोट इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन की आवश्कता महसूस की जा रही थी।