चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने के फैसले पर पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

अधिवक्ता नेदुमपारा ने कहा कि इस अदालत ने योजना के खिलाफ दायर याचिका पर विचार किया और योजना को रद्द कर दिया। बिना यह देखे कि जनता की राय अलग हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगाने का ऐतिहासिक फैसला 15 फरवरी को सुनाया था। अब इस फैसले की समीक्षा की मांग की गई है। इसको लेकर शीर्ष अदालत में एक पुनर्विचार की याचिका दायर की गई है।

अधिवक्ता मैथ्यूज जे. नेदुमपारा द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि इस अदालत ने याचिका (योजना के खिलाफ) पर विचार किया और योजना को रद्द कर दिया, बिना यह देखे कि ऐसा करने में यह संसद पर अपीलीय प्राधिकरण के रूप में कार्य कर रहा है, जो विशेष रूप से विधायी और कार्यकारी नीति के विशिष्ट क्षेत्र में आता है।

यह मुद्दा न्यायसंगत
नेदुमपारा ने अपनी याचिका में कहा, ‘अदालत यह मानते हुए भी कि यह मुद्दा न्यायसंगत है, फिर भी इस पर ध्यान देने में असफल रही। याचिकाकर्ताओं ने किसी भी विशेष नुकसान का कोई दावा नहीं किया। ऐसे में उनकी याचिका पर फैसला नहीं लिया जाना चाहिए था।’

जनता की राय अलग हो सकती है
उन्होंने कहा कि न्यायालय इस बात पर ध्यान देने में भी पीछे रही की जनता की राय अलग हो सकती है। इस देश के अधिकतर लोग शायद इस योजना के समर्थन में हो सकते हैं। इसलिए जनहित याचिकाकर्ताओं के साथ-साथ लोगों की बात को भी सुना जाना चाहिए था। उन्होंने आगे कहा कि अदालत का कर्तव्य है कि वे जनता का पक्ष जानें। इसलिए कार्यवाही को प्रतिनिधि कार्यवाही में बदलना चाहिए।

यह है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया और सरकार को किसी अन्य विकल्प पर विचार करने को कहा था। पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से इस योजना के साथ-साथ आयकर अधिनियम और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में किए गए संशोधनों को भी रद्द कर दिया था। न्यायालय ने कई निर्देश भी जारी किए थे, जिसमें 12 अप्रैल, 2019 से राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त और भुनाए गए चुनावी बॉन्ड के विवरण को सार्वजनिक करना भी शामिल था।

कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस दलील को इसको खारिज कर दिया था कि यह योजना पारदर्शी है। न्यायालय ने राय दी थी कि ऐसे चुनावी बॉन्ड काले धन पर अंकुश लगाने वाले उपाय नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की आलोचना करते हुए कहा था कि राजनीतिक पार्टियों को हो रही फंडिंग की जानकारी मिलना बेहद जरूरी है। इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन हैं।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com