चीन सीमा पर बार-बार द्विपक्षीय समझौतों की अवहेलना कर रहा है: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन द्वारा की गई कार्रवाई हमारे विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों की अवहेलना है। चीन द्वारा सैनिकों को इकट्ठा करना 1993 और 1996 में हुए समझौतों के खिलाफ है।

वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान और कड़ाई से निरीक्षण करना सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता का आधार है। हमारे सशस्त्र बलों ने इसका स्पष्ट रूप से पालन किया है, वहीं चीनी पक्ष द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है।

चीन ने पिछले कई दशकों में सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी तैनाती क्षमताओं को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा निर्माण गतिविधियां की। हमारी सरकार ने भी सीमावर्ती अवसंरचना विकास के बजट को पिछले स्तरों से लगभग दोगुना कर दिया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एलएसी के हालातों को लेकर राज्यसभा में बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीमा विवाद अभी अनसुलझा है। चीन दोनों देशों के बीच हुए समझौतों की अनदेखी कर रहा है।

वो एलएसी को नहीं मानता है। हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। 15 जून को, कर्नल संतोष बाबू ने अपने 19 बहादुर सैनिकों के साथ भारत की प्रादेशिक अखंडता का बचाव करने के उद्देश्य से गलवां घाटी में सर्वोच्च बलिदान दिया। हमारे पीएम खुद सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए लद्दाख गए।

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर पर चीन का अवैध कब्जा जारी है। इसके अलावा, 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान ‘सीमा समझौते’ के तहत, पाकिस्तान ने अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में पीओके से चीन तक एक लाख 80 हजार वर्ग किमी को सीज किया।

चीन अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पूर्वी क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र के लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर पर भी अपना दावा करता है। इन घटनाओं के दौरान हमारे सशस्त्र बलों के आचरण से पता चलता है कि उन्होंने उत्तेजक गतिविधियों के सामने ‘सयंम’ को बनाए रखा और भारत की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए आवश्यक रूप से ‘शौर्य’ का भी प्रदर्शन किया।

 

 

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