भारत और चीन के बीच मई के महीने के बाद से ही संबंधों में खटास जारी है. लद्दाख में हुई चीनी घुसपैठ के बाद से ही बॉर्डर पर सैनिकों की संख्या बढ़ी हुई है, इसके अलावा दोनों सेनाओं के बीच बातचीत का सिलसिला चल रहा है. अब चीन की ओर से बयान दिया गया है कि दोनों देशों को साथ में आगे बढ़ना चाहिए, एक-दूसरे को शक की निगाह से नहीं देखना चाहिए.

भारत में मौजूद चीनी दूतावास ने अपनी मैग्जीन के जुलाई अंक में भारत-चीन के रिश्तों पर बात की. इसमें कहा गया है, ‘हर रिश्तों में हालात ऊपर-नीचे होते रहते हैं, हाल ही में बॉर्डर पर जो विवाद हुआ उसके कारण भारत और चीन को अपने रिश्ते खराब नहीं करने चाहिए. साथ ही दोनों देशों के प्रमुखों ने जो विज़न रखा है उसपर आगे बढ़ना चाहिए’.
बयान में कहा गया है, ‘अब जब सीमा पर सेनाओं के बीच बातचीत जारी है और सैनिकों को पीछे हटाने का सिलसिला चल रहा है, तब दोनों देशों को दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए ना कि दुश्मन की तरह. पिछले कुछ वक्त में दोनों देशों ने साथ में विकास यात्रा को आगे बढ़ाया है उसे ही साथ लेकर चलना चाहिए और एक दूसरे के लिए खतरा नहीं बनना चाहिए.’
गौरतलब है कि मई में विवाद के बाद जून में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प हो गई थी, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. इससे दोनों देशों में तनाव बढ़ा था, हजारों की संख्या में सैनिक बॉर्डर पर इकट्ठा हो गए.
अभी भी दोनों देश बातचीत के जरिए मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन चीन की सेना ही समझौते के तहत पीछे हटने को तैयार नहीं है. चीन की ओर से कई बार समझौते का उल्लंघन किया गया है, वहीं भारत ने हर बार यही कहा है कि जबतक पूरी सेना पीछे नहीं हटेगी, रिश्तों में सुधार आना मुश्किल है.
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