चीन की सरकार उइगर मुसलमानों को परेशान करने के बाद अब ईसाइयों पर अत्याचार करने पर उतारू हो गई है. चीन के कई राज्यों और शहरों में सैकड़ों ईसाई धार्मिक चिन्ह हटाए गए हैं.

क्रॉस निकाल दिए गए. मूर्तियां तोड़ दी गईं. प्रभु यीशु के तस्वीर हटवाकर राष्ट्रपति शी जिनपिंग और माओत्से-तुंग की तस्वीरें लगाने का आदेश दिया गया है. इसका जो विरोध करता है, उसके साथ मारपीट होती है.
चीन की सरकार ने अपने नए आदेश में कहा है कि ईसाई यानी क्रिश्चियन समुदाय के लोग अपने घरों में प्रभु यीशु (ईसा मसीह) तस्वीरें और चर्चों से क्रॉस और मूर्तियां हटवा दें.
इनकी जगह चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तस्वीरें लगाई जाएं.
पिछले एक महीने में चीन की सरकार ने पांच राज्यों अंशुई, जियांग्सु, हेबई, झेजियांग और अनहुई के चर्चों से सैकड़ों धार्मिक चिन्हों को तुड़वा दिया है.
जिस जगह विरोध हुआ, वहां धार्मिक चिन्ह तो तोड़े ही गए साथ ही विरोध करने वालों के साथ मारपीट भी की गई. हुआईनैन शहर के शिवान चर्च से धार्मिक चिन्ह हटाने के लिए करीब 100 कर्मचारियों की टीम क्रेन लेकर पहुंची थी. लोगों ने इसका विरोध किया. इस पर अधिकारियों ने वहां मौजूद लोगों के साथ मारपीट की.
ईसाइयों के संगठन चाइना एड ने चर्चों पर कार्रवाई की तस्वीरें जारी की हैं. उधर, चीन के अधिकारियों का कहना है कि इमारतों के जरिए किसी धर्म की पहचान नहीं होनी चाहिए. सरकार ने देश में समानता स्थापित करने के लिए धार्मिक चिन्ह के आदेश दिए हैं.
इससे पहले सरकार ने धार्मिक किताबों के इस्तेमाल और उनके अनुवाद पर रोक लगा दी थी. सरकार की सख्त चेतावनी दी है कि कम्युनिस्ट पार्टी के 8.5 करोड़ कार्यकर्ता किसी धर्म का पालन नहीं करेंगे.
चीन में करीब 40 करोड़ बौद्ध-ताओ, 6.7 करोड़ ईसाई और डेढ़ करोड़ मुस्लिम हैं. इन्हें धार्मिक स्थलों के बाहर ही प्रार्थना करने की अनुमति है.
सरकार यहां आने वाले श्रद्धालुओं से टैक्स लेती है. शिनजियांग प्रांत में जेल सरीरी कई इमारतें हैं जहां हजारों उइगर मुसलमानों को कैद कर रखा है. चीन की सरकार ने इस्लाम को कम्युनिस्ट पार्टी के एजेंडे पर चलाने के लिए पांच साल की योजना बना चुकी है.
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